लखनऊ के लोक भवन में शुक्रवार को आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिन उद्यमियों को प्रोत्साहन स्वरूप इंसेंटिव का चेक और लेटर आफ कम्फर्ट प्रदान किया, उनमें गोरखपुर के दो उद्यमी भी शामिल हैं। इनमें गैलेंट इस्पात लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक चंद्रप्रकाश अग्रवाल को इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट पालिसी के तहत 24 करोड़ 21 लाख 64 हजार 973 रुपये की धनराशि की इंसेंटिव का चेक मुख्यमंत्री के हाथों मिला।
इसी तरह ज्ञान ब्रांड से दुग्ध और प्रसंस्कृत दुग्ध उत्पाद तैयार करने वाली सीपी मिल्क एंड फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुज कुमार अग्रवाल को लेटर आफ कंफर्ट प्राप्त हुआ। सरकार की ओर से जारी लेटर आफ कंफर्ट, संबंधित उद्योग के प्रति मजबूत विश्वास का प्रतीक माना जाता है।
इस अवसर पर दोनों उद्यमियों ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में उद्योग के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। गैलेंट इस्पात लिमिटेड की यूनिट गीडा में है। 218.69 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस यूनिट में करीब एक हजार लोगों को रोजगार मिला है। इस यूनिट की गिनती हाई क्वालिटी स्टील बनाने वाली यूनिट में होती है।
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मुख्यमंत्री की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम है पारदर्शिता : चंद्रप्रकाश
लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में चंद्रप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शासन और प्रशासन में ईमानदारी और पारदर्शिता का जो वातावरण संभव हो सका है, वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में जब भी किसी समस्या की चर्चा होती थी तो यही सुनने को मिलता था कि यह काम नहीं हो सकता है, लेकिन अब उसमें एक शब्द ””क्यों”” जुड़ गया है। इस ””क्यों”” मात्र ने पूरे निर्णय की प्रक्रिया को ही बदल दिया है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि प्रदेश सरकार जितना भी पैसा देगी उसका दस गुना हम निवेश करेंगे।
मुख्यमंत्री की पहल से बढ़ा प्रोत्साहन : जीपी तिवारी
लखनऊ में आयोजित समारोह के दौरान गीडा स्थित सीपी मिल्क एंड फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुज कुमार अग्रवाल ने लेटर आफ कंफर्ट प्राप्त किया। यह सम्मान मिलने से प्रसन्न कंपनी के महाप्रबंधक जीपी तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह पहल करके इस उद्यम को और मजबूत किया, इससे हमारा प्रोत्साहन और बढ़ा है।
उन्होंने बताया कि गोरखपुर और आसपास दुग्ध प्रसंस्करण के क्षेत्र में उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों के प्रोत्साहन से 84.20 करोड़ रुपये की लागत से यह यूनिट लगाई गई है। अभी इस यूनिट में करीब 200 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है जिनमें स्थानीय लोगों की संख्या अधिक है।