है बांधवो! परस्पर सहनशील रहो और हीन वस्तुओं में अनुराग न रखो। अपनी समृद्धि का अहंकार न करो और अनादर में लज्जित न हो। मेरे सौन्दर्य की सौगंध ! समस्त पदार्थों को मैंने धूल से उत्पन्न किया है और पुनः धूल में ही मैं इन्हें लौटा दूंगा।- बहाउल्लाह
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