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July 27, 2024 10:03 am

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आज ‘सुप्रीम’ फैसले का दिन: ‘3 साल में 123 चुनाव, केजरीवाल पर ED के 10 तर्क, ‘कोई नेता अरेस्ट ही नहीं हो पाएगा’….

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एक्साइज पॉलिसी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत  पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा. याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच सुनवाई कर रही है. इससे पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया और केजरीवाल की जमानत का विरोध किया है. ईडी ने कहा, चुनाव प्रचार ना मौलिक अधिकार है और ना ही संवैधानिक या कानूनी. ईडी का कहना था कि केजरीवाल को जमानत मिलने की स्थिति में बेईमान नेताओं को चुनाव की आड़ में बचने का मौका मिल जाएगा.

जानिए ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में क्या तर्क दिए हैं?

माना जा रहा है कि केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. प्रवर्तन निदेशालय आज ही ट्रायल कोर्ट (राउज एवेंन्यू) में आबकारी घोटाले में चार्जशीट दाखिल करेगा. ED अपनी चार्जशीट में केजरीवाल के अलावा आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाएगी. इतिहास में पहली बार भ्रष्टाचार के किसी मामले में किसी एजेंसी द्वारा दायर चार्जशीट में किसी राष्ट्रीय पार्टी को आरोपी बनाया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ईडी ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगी. अगर सुनवाई दिनभर चलती रही तो फिर चार्जशीट शनिवार को दाखिल कर दी जाएगी.

गुरुवार को ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, अगर केजरीवाल को जमानत दी गई तो इससे गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. जबकि अभी जेल से चुनाव लड़ने वाले नेताओं को भी जमानत की अनुमति नहीं दी जाती है.

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ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?

1. ईडी ने शराब नीति और इससे जुड़े धन शोधन घोटाले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. केजरीवाल की अंतरिम जमानत के सिलसिले में दाखिल हलफनामे में ईडी ने कहा, चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार ना तो मौलिक अधिकार है, ना ही संवैधानिक अधिकार और ना ही कानूनी अधिकार.
2. किसी भी राजनेता को चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है. भले ही वो चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार क्यों ना हो. ऐसा आदेश देने से भविष्य के लिए एक नजीर कायम हो जाएगी.

3. आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से गलत परंपरा बनेगी. इससे सभी बेईमानी और भ्रष्टाचार के आरोपी राजनेताओं को चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने का मौका मिलेगा.
4. राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा है और कुछ ने जीत भी हासिल की है, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई है.

5. अपने 44 पेज के हलफनामे में ईडी ने एक चार्ट के जरिए पांच साल के चुनावों का ब्योरा दिया है. इसमें बताया है कि अब तक जेल से चुनाव लड़ने वाले किसी भी नेता को प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई.
6. पिछले 3 वर्षों में करीब 123 चुनाव हुए हैं. चाहे नगरपालिका को हो या पंचायत का… हर चुनाव अहम है. अगर जेल में बंद व्यक्ति इसी तरह किसी ना किसी चुनाव में प्रचार के लिए जमानत मांगेगा तो जांच के दायरे से बाहर हो जाएगा.
7. अपराधी प्रचार के नाम पर जमानत मांगेंगे और हर चुनाव में ऐसी आवेदन दाखिल करेंगे. यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो फिर किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा और ना ही न्यायिक हिरासत में रखा जा सकेगा. क्योंकि चुनाव पूरे साल होते रहते हैं.

8. ऐसा कोई आदेश देश में दो अलग-अलग क्लास बनाएगा. आम लोग जो कानून के शासन के साथ-साथ देश के कानून से बंधे हैं और राजनेता जो चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत हासिल करने की उम्मीद के साथ कानूनों से छूट मांग सकते हैं.
9. एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से ज्यादा किसी स्पेशल स्टेटस का दावा नहीं कर सकते हैं. ऐसा कोई नियम नहीं है जो किसी किसान या व्यापारी से हटकर चुनाव प्रचार करने वाले नेता के लिए अलग व्यवहार करने को उचित ठहराता हो. खेती और कारोबार का काम भी उतना ही अहम है, जितना कि चुनाव प्रचार.
10. समन से बचने के लिए केजरीवाल ने 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों का बहाना बनाया था. हर स्तर पर हर राजनेता यह तर्क देगा कि अगर उसे अंतरिम जमानत पर रिहा नहीं किया गया तो उसे ऐसा खामियाजा भुगतना पड़ेगा, जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.

केजरीवाल की लीगल टीम ने जताया ऐतराज

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की लीगल टीम ने गुरुवार को ईडी द्वारा दायर हलफनामे पर आपत्ति जताई है और सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में शिकायत दर्ज कराई है. केजरीवाल की लीगल टीम ने कहा, ईडी ने सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लिए बिना ही हलफनामा दायर किया है, जो पूरी तरह गैरकानूनी है. दो साल की जांच के बाद भी ईडी को पार्टी के किसी व्यक्ति के खिलाफ एक भी सबूत नहीं मिला है. AAP का कहना था कि ईडी के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना की गई है. इसे ऐसे समय में पेश किया गया, जब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने वाला है.

पिछली सुनवाई में SC ने क्या कहा था?

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल चुने हुए मुख्यमंत्री हैं. देश में चुनाव 5 साल में आते हैं. यह असाधारण परिस्थिति है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर हम आपको रिलीज करते हैं तो हम चाहेंगे कि आप आधिकारिक ड्यूटी ना करें. फाइलों पर साइन ना करें. रिलीज होने के बाद अगर आप चुनाव में हिस्सा लेते हैं और आधिकारिक ड्यूटी करते हैं तो इसका व्यापक असर होगा. इस पर केजरीवाल के वकील ने कहा था कि वो किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. लेकिन उपराज्यपाल भी साइन ना होने की वजह से फाइलें नहीं रोकें. केजरीवाल के वकील का कहना था कि वो आदतन अपराधी नहीं हैं. अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो समाज पर कोई खतरा नहीं है.

केजरीवाल को हाईकोर्ट से लगा था झटका

अप्रैल में दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था. हाईकोर्ट का कहना था कि कई समन जारी करने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था. केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को अरेस्ट किया था. उसके बाद वे 10 दिन तक ईडी की कस्टडी में रहे और उनसे पूछताछ की गई. उसके बाद वो ट्रायल कोर्ट के आदेश पर ज्यूडिशियल कस्टडी में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

क्या केजरीवाल की बढ़ेंगी मुश्किलें?

ईडी आज केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी. ईडी ने केजरीवाल को आरोपी बनाया है. सूत्रों का कहना है कि यह पहली बार होगा, जब केजरीवाल को एक्साइज पॉलिसी केस में आरोपी बनाया जाएगा. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को किंगपिन और मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया है. ईडी का दावा है कि उसने केजरीवाल से जुड़े मनी ट्रेल का पता लगा लिया है.

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