Jaipur News: करीब एक करोड़ बीमा पॉलिसी को हथियाने के लिए पत्नी ने पति के साथ साजिश रचते हुए खुद को मृत घोषित करवा दिया. हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मृत घोषित करवाने के बाद पति ने पत्नी के नाम का डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया और उसे क्लेम के लिए इंश्योरेंस कंपनी को दे दिया. पूरे मामले का पटाक्षेप तब हुआ जब बीमा की एक करोड़ रकम को देने से पहले जांच-पड़ताल की. इंश्योरेंस कंपनी की प्रारम्भिक पड़ताल में सामने आया कि मृतका पत्नी दरअसल मरी नहीं, वह तो जिंदा है और उसे कागजों में मृत बताकर बीमा की रकम उठाई जा रही है. इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद जयपुर के जेएलएन मार्ग स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल एसके सोनी में भी हड़कंप मच गया.
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फर्जीवाड़े के तरह-तरह के मामले आपने सुने होंगे लेकिन जयपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे. यहां एक शख्स ने इंश्योरेंस के एक करोड़ रुपये पाने के चक्कर में अपनी पत्नी को कागजों में मार दिया. उसके बाद उसका डेथ सर्टिफिकेट बनवाया और इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम के लिए फाइल लगा दी. मामले पर पड़ताल हुई तो पता चला ये पूरा केस गलत है. मामले का खुलासा होने के बाद जयपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने खुद की गलती मानते हुए नगर निगम को पत्र लिखकर और जारी किए डेथ सर्टिफिकेट को निरस्त करने की दरखास्त कर दी.
क्या है पूरा मामला
पूरा मामला पिछले साल 4 अप्रैल 2023 का है. गुड़गांव के मानेसर निवासी जतिन अपनी पत्नी सुशीला देवी का जयपुर के जेएलएन मार्ग स्थित एसके सोनी हॉस्पिटल में इलाज के लिए आए. यहां उन्होंने सुशीला की कुछ जांचें करवाई. छुट्टी लेकर चले गए. इस दौरान इन दम्पत्ति ने हॉस्पिटल के स्टाफ से सांठ-गांठ की और सुशीला को इलाज के दौरान डेथ बताकर उसका 6 अप्रैल 2023 तारीख का डेथ रजिट्रेशन पहचान पोर्टल पर करवा दिया. इस रजिस्ट्रेशन के आधार पर 14 अप्रैल 2023 को सुशीला के पति जतिन ने नगर निगम ग्रेटर के मालवीय नगर जोन में आवेदन करके सुशीला का डेथ सर्टिफिकेट जारी करवा लिया. डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के 3 माह बाद जतिन ने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में सुशीला की पॉलिसी का एक करोड़ रुपये का क्लेम उठाने के लिए आवेदन कर दिया.
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इंश्योरेंस कंपनी ने पड़ताल में खुलाी सच्चाई
क्लेम की फाइल आने के बाद इंश्योरेंस कंपनी ने पड़ताल की तो पता चला कि जिस महिला को डेथ बताकर क्लेम उठाया जा रहा है, असल में वह जिन्दा है. इंश्योरेंस कंपनी ने पहले तो नगर निगम ग्रेटर को पत्र लिखकर सर्टिफिकेट के सत्यापन की जांच करवाई. इसी दौरान कंपनी ने महिला के घर का भी दौरा किया तो पता चला महिला जिंदा है. इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने जब एस.के. सोनी हॉस्पिटल पहुंचकर पड़ताल की तो इसका खुलासा हो गया. इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधियों के पहुंचने पर हॉस्पिटल प्रशासन के होश उड़ गए.
नगर निगम ग्रेटर के रजिस्ट्रार ने बताई यह बात
इंश्योरेंस कंपनी से हुई बातचीत और मामला खुलने के बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने अपने मामले को दबाने के लिए अपने यहां से जो डेथ का रजिस्ट्रेशन पहचान पोर्टल पर किया था, उसे निरस्त किया. इसके बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने नगर निगम ग्रेटर को एक पत्र लिखा और निगम से जारी डेथ सर्टिफिकेट को निरस्त करने का आग्रह किया. नगर निगम ग्रेटर के रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) प्रदीप पारीक ने बताया कि हमारे यहां से डेथ सर्टिफिकेट तभी जारी होता है जब हॉस्पिटल पहचान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन होता है. इसके अलावा शमशान घाट या कब्रिस्तान से अगर किसी के अंतिम संस्कार की रिपोर्ट बनकर आती है तो उसे हम रजिस्टर्ड करके सर्टिफिकेट जारी करते हैं चूंकि इस मामले में हॉस्पिटल से रजिस्ट्रेशन होकर आया तो उसी आधार पर हमारे यहां से सर्टिफिकेट जारी हुआ.
ज्योति नगर थाने में पत्र भेजा
नगर निगम ग्रेटर के मालवीय नगर जोन की उप रजिस्ट्रार लतेश गुप्ता ने बताया कि हमें हॉस्पिटल और इंश्योरेंस कंपनी का लेटर मिला तो हमने सर्टिफिकेट निरस्त करने के लिए नगर निगम मुख्यालय स्थित रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) को प्रकरण भिजवाया. यहां से सर्टिफिकेट निरस्त करने के आदेश मिलने के साथ ही इस मामले में हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए कहा गया. इस मामले में अब हमने एफआईआर दर्ज करने के लिए ज्योति नगर थाने में पत्र भेजा है.
बहरहाल, इस तरह के मामला सामने आने के बाद निगम प्रशासन भी सकते में हैं हालांकि सजकता से पति और पत्नी की फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाकर बीमा कंपनी को चूना लगाने की प्लानिंग फेल हो गई.
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