Jal Mahal: भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो बेहद खास और अनोखी हैं. राजस्थान में कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो हजारों साल पुरानी हैं. इन इमारतों को भारत की आन-बान और शान भी कहा जाता है. ऐसी ही एक विरासत इमारत है जल महल. इसे बने हुए 222 साल हो गए हैं लेकिन यह आज भी पहले जैसी ही भव्यता के साथ खड़ा है. जल महल को अंडरवॉटर पैलेस, फ्लोटिंग पैलेस या वॉटर पैलेस जैसे कई नामों से जाना जाता है. इसे राजपूत और मुगल वास्तुकला का सबसे बेहतरीन उदाहरण माना जाता है.
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अरावली पहाड़ियों के बीच में स्थित, जल महल को मानसागर झील के बीच में स्थित होने के कारण ‘आई बॉल’ के रूप में भी जाना जाता है. इसके अलावा इसे रोमांटिक महल के नाम से भी जाना जाता था. राजा इस महल का उपयोग अपनी रानी के साथ विशेष समय बिताने के लिए करते थे. इसके अलावा इस महल का उपयोग शाही उत्सवों के दौरान भी किया जाता था. 16वीं शताब्दी में, इस महल के निर्माण से पहले भयंकर सूखे के कारण, आमेर के शासक मान सिंह ने आमेर और आमगढ़ की नदी और पानी पर बर्बाद हुए पानी को इकट्ठा करने के लिए एक बांध बनाने का फैसला किया पहाड़ों को एकत्र और संग्रहित किया जाने लगा. इस प्रकार मानसागर झील का निर्माण हुआ. 382 एकड़ में फैली यह झील तीन तरफ उत्तर, पश्चिम और पूर्व में अरावली पहाड़ियों से घिरी हुई है.
इस झील की सुंदरता उस समय के राजाओं के लिए आकर्षण का केंद्र थी और राजा अक्सर नावों से यहां आते-जाते थे. राजा सवाई जय सिंह ने झील के बीच में एक महल बनाने का फैसला किया ताकि वह वहां रह सकें. जयपुर-आमेर रोड पर 4 किमी उत्तर में मानसागर झील के मध्य में स्थित इस महल का निर्माण राजपूत राजा सवाई जय सिंह ने 1799 ई. में करवाई थी. महल मूल रूप से 1699 में बनाया गया था. कई बार इसका नवीनीकरण किया गया है. इसके निर्माण में राजपूत शैली की नावों का उपयोग किया गया था.
महल एक दो मंजिला और चौकोर इमारत है जिसमें मध्ययुगीन महलों के समान मेहराब, बुर्ज, छतरियां और सीढ़ियां हैं. इसकी ऊपरी मंजिल के चारों कोनों पर बुर्ज वाली छतें हैं और केंद्रीय मेहराब संगमरमर के खंभों पर टिके हुए हैं.