इजराइल-ईरान के बीच जंग को शुरू हुए आज 5वां दिन हो गया. इजराइल के हमलों में ईरान के टॉप सैन्य कमांडर और 9 परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं. इसके साथ ही ईरान के मिसाइल अटैक से इजराइल में भी जानमाल की हानि हुई है. इस बीच इजराइली PM बेंजामिन नेतन्याहू ने जंग खत्म करने को लेकर कहा कि अयातुल्ला खामेनेई की हत्या से जंग बढ़ेगी नहीं, बल्कि खत्म होगी.
इजराइल सहित पश्चिम के ज्यादातर देशों का मानना है कि वो ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देंगे, जबकि ईरान चोरी छुपे परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम 235 को 90 प्रतिशत तक शुद्ध कर चुका है. ऐसे में इजराइल और ईरान के बीच ये युद्ध कब तक चलेगा.
इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि अगर इजराइल और ईरान के बीच युद्ध ज्यादा दिनों तक चला तो दुनिया के साथ भारत पर भी इसका बुरा असर होगा. आज हम आपको इजराइल और ईरान के बीच जारी जंग से भारत को होने वाले नुकसान की जानकारी दे रहे हैं.
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आसमान चढ़ेगी तेल की कीमत
ईरान दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल उत्पादक देश है. इसके साथ ही ईरान के समुद्र क्षेत्र से दुनियाभर का 20 प्रतिशत ऑयल का ट्रेड होता है. फिलहाल युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में 10 प्रतिशत तक की तेजी देखी गई है, लेकिन इजराइल और ईरान के बीच इसी तरीके से युद्ध चलता है तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम 200 डॉलर बैरल तक पहुंच सकते हैं.
आपको बता दें भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा ऑयल खरीदने वाला देश है, ऐसे में इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमत बढ़ेगी तो इसका असर भारत में भी देखने को मिलेगा और पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ेगी.
शेयर बाजार में रहेगी उथल-पुथल
इजराइल-ईरान युद्ध के चलते दुनियाभर के शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. दरअसल पूरी दुनिया में फिलहाल दो युद्ध चल रहे हैं, पहला यूक्रेन और रूस के बीच और दूसरा इजराइल और ईरान के बीच ऐसे में निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगाने से कतरा रहे हैं और भारत सहित दुनियाभर के बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है.
अनिश्चितता के दौर में निवेशक सुरक्षित विकल्प जैसे गोल्ड में पैसा लगाते हैं. इससे भारत में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक जा सकती हैं. साथ ही शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
रुपए पर दबाव और ट्रेड डेफिसिट में इजाफा
महंगे तेल के कारण भारत का आयात बिल बढ़ेगा और डॉलर की मांग तेज होगी. इससे रुपया कमजोर हो सकता है और व्यापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) बढ़ेगा. अगर इजराल और ईरान के बीच युद्ध लंबा खिचता है तो विदेश में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों का खर्च रुपए के कमजोर होने से बढ़ेगा.
भारतीय प्रवासियों पर खतरा
खाड़ी देशों में लगभग 80 लाख भारतीय काम करते हैं. अगर युद्ध की आंच वहां तक पहुंचती है, तो उनके रोजगार और सुरक्षा पर खतरा बन सकता है. ऐसी स्थिति में भारत को इन देशों से भारतीयों को रेस्क्यू भी करना पड़ सकता है.
रक्षा उपकरणों की डिमांड बढ़ सकती है
भारत रक्षा उत्पादों के उत्पादन और निर्यात में तेजी ला रहा है. अगर युद्ध लंबा खिंचता है तो हथियारों और सुरक्षा उपकरणों की मांग बढ़ सकती है, जिससे भारत को रक्षा निर्यात में अवसर मिल सकता है. भारत की तटस्थ और संतुलित विदेश नीति उसे मध्यस्थता या शांति स्थापना की भूमिका निभाने का अवसर दे सकती है. इससे वैश्विक मंच पर भारत की साख बढ़ सकती है.
ईरान से सस्ते तेल की संभावना
पश्चिमी देशों की पाबंदियों के बावजूद भारत अगर ईरान से सस्ते तेल का आयात बढ़ाए, तो उसे कुछ हद तक महंगे बाजार से राहत मिल सकती है, बशर्ते अमेरिका की नाराजगी झेलने की राजनीतिक इच्छा शक्ति हो.
