डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिसका प्रभाव भारत के निर्यात, स्थानीय विनिर्माण, कीमतों और व्यापार पर पड़ सकता है. वैसे तो भारतीय स्टील कंपनियों पर फिलहाल इसका कोई बड़ा सीधा असर नहीं दिख रहा है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और अन्य देशों की ओर से डंपिंग की आशंका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. विश्लेषकों के अनुसार, भारत से अमेरिका को स्टील का सीधा निर्यात सीमित मात्रा में होता है.
हालांकि, भारत के लिए चिंता का विषय उन उत्पादों पर हो सकता है जो लोहे या स्टील से बनते हैं. मसलन, ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग गुड्स. इन पर पड़ने वाला अप्रत्यक्ष असर आने वाले समय में अहम हो सकता है. यह टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार के परिदृश्य को बदल सकती है, जिससे भारत सहित कई देशों के निर्यातकों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
भारत के निर्यात पर असर
अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है. स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 50% टैरिफ लगने से भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी आ सकती है क्योंकि अमेरिकी आयातकों को यह महंगा पड़ेगा. इससे भारत की स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है और उनके उत्पादों की मांग में गिरावट आ सकती है.
स्थानीय विनिर्माण और कीमतों पर असर
इस टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना है, जिससे घरेलू उत्पादकों को फायदा मिलेगा. हालांकि, इससे अमेरिका में स्टील और एल्यूमिनियम की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो विभिन्न उद्योगों में उत्पादन लागत बढ़ाने का कारण बनेगी. यह अंततः उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि कर सकता है.
ट्रेड डाइवर्जन पर असर
भारत सहित अन्य देशों के निर्यातकों को नई टैरिफ नीति के कारण व्यापारिक मार्ग बदलने पड़ सकते हैं. निर्यातक अमेरिका के बजाय अन्य देशों या क्षेत्रों की ओर रुख कर सकते हैं जहां टैरिफ कम या नहीं हैं. इससे वैश्विक व्यापार में प्रवाह और प्रतिस्पर्धा के पैटर्न में बदलाव आ सकता है.
