1 मई को पाकिस्तान और चीन के साथ काबुल में अफगानिस्तान ने एक बैठक की थी. अब 20 मई को फिर से बीजिंग में तीनों देश की बैठक होने जा रही है. 10 मई को जो बैठक हुई थी, उसमें चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से भारत को दूर रखने के लिए कहा था. अफगानिस्तान भारत के साथ दोस्ती का ढोंग तो कर रहा है, लेकिन खुलकर चीन और पाकिस्तान के साथ मिल रहा है.
अफगानिस्तान की कोशिश चीन और पाकिस्तान से आधिकारिक तौर पर तालिबान शासन को मान्यता लेने की है. अगर दोनों देशों से मान्यता मिलती है तो उसके लिए एशिया में यह बड़ी जीत होगी. इसलिए वह भारत के साथ इन दो देशों के साथ बी संबंध बनाने में जुटा है. लेकिन इनके करीब तालिबान का देश और क्षेत्र शांति के लिए अच्छा नहीं होगा.
बारिश में भी दौरा
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार सोमवार को चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग से मिलने बीजिंग जाएंगे. हवाले से बताया कि अफगानिस्तान के अंतरिम विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भी 20 मई को चीन पहुंचेंगे.
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच कूटनीतिक प्रयास
ये कूटनीतिक प्रयास 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ने के बाद हो रहा है. जिसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तानी हमले के जवाब में तालिबान ने भारत की हिमायत की थी, लेकिन चीन हमेशा की तरह पाकिस्तान के पक्ष में है. इस मीटिंग में अफगानिस्तान को भारत से दूर करने की कोशिश हो सकती है.
अफनिस्तान निकला असली खिलाड़ी
अफगानिस्तान चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ भारत के साथ भी रिश्ते गहरे कर रहा है. अफगान तालिबान सरकार चाहती है कि उन्हके शासन को एशिया के तीनों ताकतवर देश मान्यता दें. लेकिन भारत पाकिस्तान के बीच अफगानिस्तान को किसी एक देश को चुन्ना ही होगा.
