निधन से पहले कई महीनों से नहीं थी नेहरू की हेल्थ ठीक निधन से चार दिन पहले देहरादून गए थे ताकि स्वास्थ्य लाभ कर सकेंनेहरू के डॉक्टर ने क्या बताया कि कैसे हुई उनकी मृत्यु
27 मई 1964 को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया था. उनके निधन की सूचना दोपहर कोई दो बजे संसद में दी गई और सार्वजनिक की गई. लेकिन कई बार ये सवाल उठा है कि असल में उनका निधन रात में ही बाथरूम में जाने पर हो गया था, जिसे घंटों छिपाकर रखा गया. हालांकि उनके निधन को लेकर आधिकारिक सूचना अलग है लेकिन तब भारत सरकार में बड़े पद पर आसीन और बाद में जाने माने पत्रकार बने कुलदीप नैयर की किताब कुछ अलग ही कहती है.
दरअसल 26 मई को नेहरू शाम को देहरादून से लौटे थे. वह खराब स्वास्थ्य के कारण वह चार दिनों के स्वास्थ्य अवकाश पर वहां गए थे. लेकिन उनकी तबीयत अब भी अच्छी नहीं थी, 26 मई को वह थके हुए थे. वो आमदिनों की तुलना में जल्दी सोने चले गए थे. रात बेचैनी में बीती. वो कई बार उठे. हर बार उनका विश्वस्त सेवक नाथूराम उन्हें दर्द निवारक दवाएं देता रहा.
वह हेलीकॉप्टर से देहरादून से शाम 04.00-05.00 बजे के आसपास दिल्ली के लिए चले थे. देहरादून के पोलो ग्राउंड पर उनका हैलीकॉप्टर उन्हें दिल्ली ले जाने के लिए खड़ा था. छोटी सी भीड़ उन्हें विदा करने आई थी.
मिड-डे ने कुछ साल पहले देहरादून के एक पुराने पत्रकार राज कंवर के हवाले एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. जिसमें बताया गया था कि उस शाम नेहरू जब देहरादून से विदा हुए तो कैसे लग रहे थे.
स्वास्थ्य अवकाश पर गये थे नेहरू
नेहरू दरअसल देहरादून में चार दिनों के अल्प अवकाश पर आए थे. उनकी सेहत जनवरी में भुवनेश्वर के हार्ट अटैक के बाद सुधर नहीं पाई थी. उनका रूटीन प्रभावित हो चुका था. उनका ज्यादातर काम बिना विभाग के मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को दे दिया गया था. नेहरू जब चलते थे तो उनका बाएं पैर में दिक्कत होती थी.
उस शाम वो आखिरी बार देखे गए थे
देहरादून की 26 मई को वो शाम आखिरी शाम थी, जब नेहरू को आखिरी बार सार्वजनिक तौर पर देखा गया था. वो बेटी इंदिरा गांधी के साथ हेलिकॉप्टर में चढ़े. हेलिकॉप्टर के दरवाजे पर खड़े होकर जब उन्होंने हाथ हिलाया. तब राज कंवर ने महसूस किया कि बायां हाथ ऊपर उठाते समय नेहरू के चेहरे पर कुछ दर्द सा उभर आया था. उनकी बेटी इंदिरा उन्हें सहारा देने के लिए खड़ी थी. बाएं पैर के मूवमेंट में भी दिक्कत महसूस हो रही थी. उन्होंने चेहरे पर भरपूर मुस्कुराहट लाने की कोशिश की लेकिन पूरे तौर पर ऐसा कर नहीं पाए.
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रातभर करवटें बदलते रहे
नेहरू करीब 08.00 बजे के आसपास दिल्ली पहुंचे. सीधे प्रधानमंत्री हाउस चले गए. रिपोर्ट्स की मानें तो वो थके हुए थे. रातभर करवटें बदलते रहे. पीठ के साथ कंधे में दर्द की शिकायत करते रहे. विश्वस्त सेवक नाथूराम उन्हें दवाएं देकर सुलाने का प्रयास करते रहे.
कुलदीप नैयर की आत्मकथा किताब बियांड द लाइंस – एन ऑटोबॉयोग्राफी में लिखा है, दरअसल का निधन 27 मई 1964 की रात उनके स्नान गृह यानि बाथरूम में ही हो गया था. उनके डॉक्टर के एल विग ने खास निर्देश दे रखा था कि उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाए. फिर जब वह बाथरूम में पाए गए तो उनके पास कोई नहीं था.
नेहरू की आखिरी रात उनके लिए बहुत कष्टकर और बेचैन करने वाली थी. हालांकि किसी को उम्मीद नहीं थी कि उनका निधन इतनी जल्दी हो जाएगा. (फाइल फोटो)
नैयर लिखते हैं कि डॉक्टर विग ने उन्हें बताया था बाथरूम में गिरने के बाद नेहरू एक घंटे तक उसी अवस्था में पड़े रहे थे. ये सरासर लापरवाही थी. लोगों को पता था कि वो बीमार हैं लेकिन उनके इतनी जल्दी निधन की उम्मीद नहीं थी. हालांकि नेहरू के निधन को जो आधिकारिक बात कही गई, वो इससे अलग थी.
सुबह अटैक और फिर कोमा
द गार्जियन की 27 मई 1964 की रिपोर्ट कहती है कि सुबह 06.30 बजे उन्हें पहले पैरालिटिक अटैक हुआ और फिर हार्ट अटैक. इसके बाद वो अचेत हुो गए. इंदिरा गांधी ने तुरंत उनके डॉक्टरों को फोन किया. तीन डॉक्टर तुरंत पीएम हाउस पहुंच गए. उन्होंने अपनी ओर से भरपूर कोशिश की लेकिन नेहरू का शरीर कोमा में पहुंच चुका था. शरीर से कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा था, जिससे पता लगे कि इलाज कुछ असर कर भी रहा है या नहीं. कई घंटे की कोशिश के बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया.
27 मई से लोकसभा का सात दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नेहरू खासतौर पर कश्मीर और शेख अब्दुल्ला के बारे में कुछ सवालों का जवाब देने वाले थे. जब वो संसद में नहीं पहुंच तो बताया गया कि अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई है.
दोपहर दो बजे निधन की घोषणा हुई
दोपहर 02.00 बजे स्टील मंत्री कोयम्बटूर सुब्रह्मणियम राज्यसभा में दाखिल हुए. उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुईं थीं. उन्होंने बुझे हुए स्वर में केवल इतना कहा, रोशनी खत्म हो गई है. लोकसभा तुरंत स्थगित कर दी गई. कुछ घंटों बाद गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की गई.
क्या आठ घंटे कोमा में रहे
दोपहर 02.05 बजे तक संसद में हर सांसद के पास ये खबर पहुंच चुकी थी. द न्यूयार्क टाइम्स ने तुरंत नेहरू के निधन पर एक अतिरिक्त संस्करण प्रकाशित किया, देश में भी समाचार पत्रों में दिन में विशेष संस्करण प्रकाशित हुए. द न्यूयार्क टाइम्स ने नेहरू आठ घंटे तक कोमा में रहे, उन्हें बचाया नहीं जा सका. गार्जियन ने घर के अंदरूनी सूत्रों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी कि उन्हें आतंरिक हैमरेज हुआ था. इसमें पहले पैरालिटिक स्ट्रोक और फिर हार्ट अटैक हुआ.
शाम 04.00 बजे भीड़ प्रधानमंत्री हाउस के सामने इकट्ठा होने लगी. इसमें नेता, राजनयिक, आम जनता शामिल थी. अगले दिन उनका पार्थिव शरीर जनता के आखिरी दर्शन के लिए रखा गया. 29 मई को उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीतिरि्वाजों से हुआ.
मैं लंबे समय तक जिंदा रहूंगा
हालांकि निधन के मुश्किल से एक सप्ताह पहले नेहरू ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, चिंता ना करें, मैं अभी लंबे समय तक जिंदा रहूंगा.
उस दिन शादियों का बड़ा साया था
27 मई को देशभर में शादियों का बड़ा साया था. जैसे ही नेहरू के निधन की खबर फैली. तुरंत सदमे की शोक की स्थिति हो गई. शादियां तो हुईं लेकिन कहीं कोई बाजा-गाजा नहीं बजा.