अब तक रूस से रिश्तों को लेकर दुविधा में दिखने वाला तुर्किए अब खुलकर सामने आ गया है. इस्लामिक दुनिया का ये बड़ा खिलाड़ी अब रूस के ‘नए दुश्मन’ फिनलैंड से हथियारों की बड़ी डील कर चुका है. ये सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि रूस को घेरने की नाटो की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि 2019 से 2023 तक फिनलैंड ने तुर्की को हथियार बेचना बंद कर दिया था. वजह थी तुर्की की “ऑपरेशन पीस स्प्रिंग” जो सीरिया में कुर्द लड़ाकों के खिलाफ चलाया गया सैन्य ऑपरेशन था.
इस बात से फिनलैंड भड़क गया था और हथियारों की सप्लाई रोक दी थी. लेकिन 2023 की शुरुआत में फिनलैंड ने ना सिर्फ ये बैन हटाया, बल्कि 12,000 टन आर्मर-ग्रेड स्टील तुर्की को भेजा और हथियारों की एक्सपोर्ट प्रक्रिया को आसान बना दिया. इसके बदले तुर्किए ने भी फिनलैंड की नाटो सदस्यता को हरी झंडी दिखा दी. यहीं से रिश्तों की गर्माहट शुरू हुई, जो अब इस MoU (समझौता ज्ञापन) तक पहुंच गई है.
हथियार बनाएंगे साथ में, बेचेंगे पूरी दुनिया में!
सोमवार को तुर्की और फिनलैंड के बीच रक्षा क्षेत्र में साझा सहयोग का बड़ा समझौता हुआ. इस पर दस्तखत किए तुर्की के SSB चीफ हलुक गोरगुन और फिनलैंड के ओल्ली रूटू ने. फिनलैंड की कंपनी Patria और तुर्की की कंपनियां ASELSAN और Roketsan मिलकर हथियार बनाएंगी. Patria के 6×6 और 8×8 आर्मर्ड व्हीकल्स में ASELSAN के रिमोट कंट्रोल हथियार सिस्टम में लगाए जाएंगे. इन हथियारों और गाड़ियों को मिडल ईस्ट और साउथ अमेरिका जैसे बाजारों में बेचा जाएगा.
नाटो की ताकत भी बढ़ेगी, रूस की चिंता भी
तुर्किए और फिनलैंड की ये जोड़ी सिर्फ व्यापार नहीं कर रही, ये नाटो के लिए नई ताकत भी बना रही है. तुर्की के पास जहां मिसाइल, ड्रोन और जमीनी लड़ाई का अनुभव है, वहीं फिनलैंड के पास है आर्कटिक वॉरफेयर की तकनीक और हाई-टेक निर्माण क्षमता है. तुर्की के डिफेंस चीफ ने भी कहा है कि ये डील नाटो की ताकत को और मज़बूत करेगी और यूरोप की डिफेंस इंडस्ट्री को जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम है.
फिनलैंड बना यूरोप का नया डिफेंस पावर
2023 में फिनलैंड ने 333 मिलियन यूरो के हथियार एक्सपोर्ट किए. बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा. स्वीडन, लातविया, लिथुआनिया जैसे देशों को सबसे ज्यादा सप्लाई की गई. इतना ही नहीं, उसका 4060% डिफेंस प्रोडक्शन एक्सपोर्ट में जाता है खासकर कम्युनिकेशन, आर्मर्ड व्हीकल और आर्कटिक तकनीक में. 2025 में फिनलैंड ने GDP का 2.5% डिफेंस पर खर्च करने का ऐलान किया है, जो कि नाटो की तय सीमा 2% से ज्यादा है. इसमें F-35A फाइटर जेट्स और नाटो मिशनों के लिए भारी निवेश शामिल है.
तुर्किए को क्या फायदा?
तुर्की पहले से ही अफ्रीका, मिडल ईस्ट और सेंट्रल एशिया में अपने रक्षा उत्पाद बेच रहा है. लेकिन यूरोप और नॉर्डिक देशों में उसकी पकड़ अब भी सीमित थी. फिनलैंड के साथ ये नई साझेदारी तुर्किए को सीधे यूरोपीय मार्केट में ले जाएगी. दूसरी तरफ, फिनलैंड को भी तुर्किए के जरिए मिडल ईस्ट जैसे बड़े बाजारों में एंट्री मिलेगी.
