भले ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी नाजुक दौर से गुजर रहे हों, दोनों देशों के बीच युद्ध की साया मंडरा रहा हो, लेकिन भारत के लिए इकोनॉमिक मोर्चे पर काफी अच्छी खबरें सामने आ रही है. हाल के दिनों में देश के लिए जो इकोनॉमिक डाटा सामने आए हैं वो काफी बेहतर रहे हैं. फिर चाहे हो जीएसटी कलेक्शन का डाटा हो, या फिर विदेशी निवेशकों का निवेश या हाल ही में आया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का डाटा. अब जो भारत के लिए इकोनॉमिक तौर पर सबसे बड़ी खबर आई है वो खाड़ी देशों से है. जिन्होंने अपने क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में इजाफे का ऐलान कर दिया है.
जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. ऐसे में भारत के रुपए को काफी बड़ा सपोर्ट मिला है. सोमवार को शुरुआती कारोबारी सत्र में रुपए में अच्छी तेजी देखने को मिली है. वो भी तब जब शुक्रवार को 70 पैसे से ज्यादा की तेजी के बाद भी रुपया कारोबार बंद होने के बाद गिरावट के साथ बंद हुआ था. जिसका अंदाजा किसी ने भी नहीं लगाया गया. शुरुआती कारोबारी सत्र में रुपया 7 महीने के हाई पर पहुंच गया था. उसके बाद रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली. आइए आपको भी बताते हैं कि खाड़ी देशों के पैगाम के बाद रुपए में कितना उछाल देखने को मिला है?
रुपए में आई बच्छी तेजी
सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 39 पैसे बढ़कर 84.18 पर पहुंच गया. जिसका कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी निवेशकों का लगातार बढ़ता निवेश है. फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट और घरेलू इक्विटी में सकारात्मक रुझान ने निवेशकों को और उत्साहित किया. वहीं दूसरी ओर वीकेंड में ओपेक+ द्वारा संकेत दिए जाने के बाद कि वे आने वाले महीनों में उत्पादन में और वृद्धि करेंगे, सुबह के एशियाई कारोबार में ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 4 प्रतिशत की गिरावट आई.
आंकड़ों पर बात करें तो इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया 84.45 पर ओपन हुआ और 84.47 के शुरुआती निचले स्तर और 84.18 के हाई लेवल पर आ गया. जो पिछले बंद के मुकाबले 39 पैसे ज्यादा है. शुक्रवार को रुपये में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया था. शुक्रवार को रुपया सात महीने के हाई पी पहुंच गया था और 84 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया, लेकिन सभी लाभ को कम करके 3 पैसे कम होकर 84.57 डॉलर प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
