शिव नगरी बूढ़ाकेदार में नदी ने 75 साल बाद दिखाया रौद रूप
धर्मगंगा नदी में भी केदारनाथ आपदा के बाद दूसरी बार तबाही
Tehri Flood: आपदा से शिव की नगरी बूढ़ाकेदार का भूगोल बदलने लगा है। यहां से निकलने वाली बालगंगा नदी ने 75 साल बाद रौद्र रूप दिखाया है। जनहानि के साथ मकान और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। ग्रामीणों के खेत और रास्ते तबाह हो गए हैं। धर्मगंगा नदी में भी केदारनाथ आपदा के बाद दूसरी बार तबाही मचाई है।
बूढ़ाकेदार क्षेत्र बालगंगा और धर्मगंगा नदी के बीच में बसा है। यह दोनों नदियों का संगम स्थल भी है, जिसमें तीर्थ और कांवड़ यात्री स्नान करते हैं। यहीं से होकर बूढ़ाकेदार-अंयारखाल चारधाम यात्रा भी निकलती है। बूढ़ाकेदार क्षेत्र सिंचित भूमि के लिए प्रसिद्ध है। दो नदियां होने के कारण यहां के धान की फसल लहलहाती है, लेकिन समय-समय पर यह क्षेत्र आपदा की मार भी झेलता है।
इस बार बूढ़ाकेदार में हुए नुकसान ने वर्ष 2013 में केदारनाथ की आपदा की याद दिला दी। आमतौर पर शांत रहने वाली बालगंगा ने इस बार रौद्र रूप दिखाकर दहशत फैला दी है। बुजुर्गों की मानें तो करीब 75 साल बाद बालगंगा नदी ने तबाही मचाई है।
बूढ़ाकेदार निवासी बुजुर्ग राम प्रसाद सेमवाल, गोपेश्वर प्रसाद जोशी, उत्तम सिंह का कहना है कि वर्ष 1950-51 में बालगंगा में बाढ़ आने से नदी ने तबाही मचाई थी। उस दौरान जानमाल का नुकसान तो नहीं हुआ था, लेकिन धान से लहलहाते खेत, पैदल मार्ग तबाह हो गए थे। 12 से ज्यादा मवेशी नदी में बह गए थे।
लेंदुड़ी नामे तोक में खेतों में मलबा और बड़े-बड़े पत्थर आ गए थे। तब से ये खेत बेकार पड़े हैं। ग्रामीण सनोप राणा का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी तबाही नहीं देखी।
इस बार यह हुआ नुकसान
- बाढ़ से ग्रामीणों के करीब छह से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए है।
- नदी में बहने से दो लोगों की मौत भी हो चुकी है।
- खेत भी तबाह हो गए हैं। पुराने पुल से बूढ़ाकेदार बाजार को जोड़ने वाला रास्ता पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।
- पैदल पुल भी आने-जाने लायक नहीं बचा है।
- गांवों को जाने वाले रास्ते ध्वस्त होने से ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।
- पिंसवाड़, अगुंडा, उर्णी, कोट, बिशन आदि को जोड़ने वाला मोटर मार्ग कई जगहों पर धंस गया है।
केदारनाथ और बूढ़ाकेदार में साथ आई थी आपदा
बूढ़ाकेदार को प्राचीन केदार माना जाता है। पूर्व में जब केदारनाथ की पैदल यात्रा होती थी तो बूढ़ाकेदार ही यात्रा का मुख्य पैदल मार्ग था। उस समय बूढ़ाकेदार की यात्रा किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी।वर्ष 2013 में जब केदारनाथ में आई आपदा से त्रासदी मचाई थी तो उसी दौरान शिव के धाम में भी वैसी ही आपदा देखने को मिली थी। उस समय धर्मगंगा नदी में बाढ़ आने से बूढ़ाकेदार में कई घरों में पानी घुस गया था। ग्रामीण जान बचाने के लिए ऊपरी स्थान पर चले गए थे। उस समय बाढ़ से छह मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। कई खेत तबाह हुए थे और कई मवेशी नदी में बह गए थे।