
“इस पार्थिव जीवन का नाश निश्चित है, इसकी खुशियाँ समाप्त होना बिल्कुल तय है और इससे पहले कि तू ईश्वर के पास पश्चाताप की पीड़ा

“तुम इस सत्य को जानो कि शरीर से अलग होने पर भी आत्मा तब तक प्रगति करती जायेगी जब तक वह परमात्मा से एक ऐसी




मात्र मुँह से बोल देने भर से ईश्वर के चुने हुए भक्त शुचिता प्राप्त नहीं कर सकते, अपितु धैर्यवान जीवन और लगातार सेवाकार्यों में प्रवत्त
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