रिहाइशी संपत्ति का व्यावसायिक इस्तेमाल करने पर सीलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी को टैक्स का नोटिस भेजने के मामले में कोर्ट ने आयकर विभाग से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को इस तरह के ऐक्शन का जवाब देने के लिए तलब भी किया है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीन सदस्यीय मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अधिकारी को समन किया है। बता दें कि भूरे लाला की अध्यक्षता मेंसुप्रीम कोर्ट ने सीलिंग को लेकर दिए गए आदेशों की मॉनिटरिंग करने के लिए यह कमेटी बनाई थी।
बेंच में शामिल जस्टिस पंकज मिथलने कहा कि आयकर विभाग द्वारा इस तरह की कार्यवाही अपवाद है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होनी है। न्याय मित्र सीनियर वकील गुरु कृष्ण कुमार ने कोर्ट को बताया कि कमेटी के पास 48863 रुपये का बैलेंस है। इसके अलावा पिछले महीने कमेटी ने 3.5 करोड़ रुपये की राशि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को ट्रांसफर की थी। 22 अगस्त को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिय़ा था कि वह 1 सितंबर 2024 के बाद हर तीन महीने में कोर्ट में प्रोसेसिंग फीस जमा करवा दे।
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कुमार ने बेंच को बताया कि अब तक कमेटी को तीन बार आईटी के नोटिस मिल चुके हैं। कमेटी ने विभाग को जवाब भी दिया है कि उसे रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह उसकी इनकम नहीं है बल्कि यह सारा पैसा कोर्ट रजिस्ट्री को भेज दिया जाता है। रजिस्ट्री इसे फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट में रखती है। कुमार ने कमेटी की तरफ से लिखे गए पत्र को भीकोर्ट में पेश किया और बताया कि आयकर विभाग ने अब तक नोटिस वापस नहीं लिया है।
अपने जवाब में कमेटी ने कहा था कि सेक्शन 133 (6) के तहत जारी किए गए नोटिस स्वीकार नहीं है। यह सारा फंड सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जमा किया जाता है और कोर्ट को ही लौटा दिया जाता है। बता दें कि 24 मार्च 2006 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कमेटी बनाई थी। पहले इस कमेटी में चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार केजे राव भी सामिल थे। हालांकि बाद में उनकी जगह विजय छिब्बर को शामिल किया गया था।