हम भारतीय, पाश्चात्त्य पद्धति को उचित मानने लगे हैं। इस अनुचित धारणा में हम इतने दंग हैं कि केवल कपडे ही नहीं, अपितु जीवनपद्धति और आहार भी उनके समान ही करने लगे हैं। ‘स्वीट डिश’ यह उसी का एक प्रकार है। स्वीट डिश (मिष्ठान्न) विदेश में भोजन के अंत में खाने की पद्धति है। आयुर्वेद के अनुसार मिष्ठान्न अर्थात मीठे पदार्थ भोजन के आरंभ में खाने चाहिए। जिससे वात का शमन होता है तथा पचनक्रिया में बाधा नहीं आती।
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वर्तमान शास्त्रीय दृष्टि से विचार करने पर भी मिष्ठान्न का प्रथम सेवन (भोजन करते समय) अधिक शास्त्रीय है। मीठे पदार्थ पचने में भारी होते हैं। भोजन के आरंभ में उनका सेवन करने से पाचन उत्तम होता है तथा आगे का भोजन मर्यादित रहता है। इसके विपरीत भोजन के अंत में मीठे पदार्थ का सेवन करना तथा वे पदार्थ ठंडे खाना उचित नहीं है। इससे जठर का तापमान घटता है और पाचन ठीक से नहीं होता। इस कारण मीठे पदार्थ भोजन के प्रारंभ में अथवा भोजन के बीच-बीच में खाने चाहिए। भोजन के अंत में स्वीट डिश की पाश्चिमात्य प्रथा हमारे देश में निश्चित ही अनुचित (घातक) है।
साभार~ पं देवशर्मा जी