आपकी छाती के बीच में स्थित लंबी, समतल हड्डी को उरोस्थि (sternum) कहते हैं. इससे पसली के ऊपरी भाग की सात हड्डियां जुड़ी होती हैं. इस ‘स्टर्नम’ के पीछे एक छोटी सी, वसा ग्रंथि – थाइमस – होती है जिसके बारे में कहते हैं कि बड़े होने पर यह ‘बेकार’ हो जाती है. अक्सर डॉक्टर इसे किसी दूसरी सर्जरी के दौरान निकाल देते हैं. हालांकि, एक नई स्टडी बताती है कि थाइमस ग्रंथि उतनी भी ‘बेकार’ नहीं है.
थाइमस ग्रंथि न होने से दोगुना हो जाता है कैंसर का खतरा
अमेरिकी रिसर्चर्स ने पाया कि जिन लोगों की थाइमस ग्रंथि निकाल दी जाती है, उन्हें जीवन में आगे चलकर किसी भी कारण से मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है. ऐसे लोगों को कैंसर होने का भी खतरा बढ़ जाता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ऑनकॉलॉजिस्ट, डेविड स्कैडन ने रिसर्च छपने के बाद कहा था, ‘हमने पाया कि थाइमस स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. अगर यह न हो, तो लोगों के मरने और कैंसर का जोखिम कम से कम दोगुना हो जाता है.
यह रिसर्च पूरी तरह से ऑब्जर्वेशंस पर आधारित है. मतलब यह कि इसके जरिए यह नहीं दिखाया जा सकता कि थाइमस ग्लैंड निकालने का कैंसर होने या अन्य घातक बीमारियां होने से सीधा कनेक्शन है. हालांकि रिसर्चर्स ने कहा कि उनकी राय में डॉक्टरों को जहां तक संभव हो, थाइमस को बचाकर रखना प्राथमिकता होनी चाहिए.
थाइमस ग्रंथि कहां होती है, किस काम आती है?
बचपन में, थाइमस ग्रंथि शरीर के इम्यून सिस्टम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जब कम उम्र में ग्रंथि को हटा दिया जाता है, तो मरीजों की T कोशिकाओं में लंबे समय तक कमी देखी जाती है. यह जो एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका होती है जो कीटाणुओं और बीमारी से लड़ती है. थाइमस के बिना बच्चों में वैक्सीनों के प्रति इम्यून रेस्पांस भी कम होता है.
जब कोई व्यक्ति जवानी की दहलीज तक पहुंचता है, तो थाइमस ग्रंथि सिकुड़ जाती है. फिर इससे शरीर के लिए बहुत कम टी कोशिकाओं का उत्पादन होता है. इसे तत्काल नुकसान के बिना हटाया जा सकता है, और चूंकि यह दिल के सामने होती है, इसलिए इसे अक्सर कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के दौरान निकाला जाता है.