महाराष्ट्र में करीब दो सप्ताह की खींचतान और लंबी बैठकों के बाद आज मुख्यमंत्री का शपथग्रहण होने जा रहा है। देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वहीं एकनाथ शिंदे और अजित पवार का डिप्टी सीएम बनना लगभग तया है। मुंबई के आजाद मैदान में शपथ ग्रहण की तैयारियों जोरों पर हैं। इसी बीच उद्धव गुट की शिवसेना के मुखपत्र सामना में एकनाथ शिंदे को लेकर बड़ा दावा किया गया है। सामना में छपे एक लेख में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। दिल्ली में 28 नवंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर पर बैठक हुई तो शिंदे वहां अमित शाह के सामने गिड़गिड़ाए कि उन्हें कम से कम 6 महीने तक सीएम बने रहने दिया जाए। मगर अमित शाह ने शिंदे की मांग को ठुकरा दिया था।
बैठक में मौजूद थे कई वरिष्ठ नेता
सामना में कहा गया कि मुंबई में मामला नहीं सुलझने के बाद 28 नवंबर एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा नेतृत्व से मुलाकात की थी। बैठक में उनके साथ बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, दादा गुट से खुद अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल और प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे भी मौजूद थे। सामना में कहा गया कि देर रात तक रूठने-मनाने का सिलसिला जारी रहा। बैठक में एकनाथ शिंदे ने विधानसभा चुनाव से पहले के एक कथित वादे को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि अगर बहुमत मिलता है तो वही मुख्यमंत्री रहेंगे। मगर भाजपा ने कहा कि पार्टी ने लगभग बहुमत हासिल कर लिया है। ऐसे में सीएम पद देना गलत है।
सीएम बनना चाहते थे शिंदे
सामना में कहा गया कि एकनाथ शिंदे खुद सीएम बनना चाह रहे थे और इसके लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगाया था, पर उनका हर दांव फेल हो गया। सामना में कहा गया कि देवेंद्र फडणवीस को नए मुख्यमंत्री के रूप में चुन लिया गया मगर इसके बाद भी देर रात तक शिंदे के रूठने-मनाने का सिलसिला चलता रहा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि भाजपा नेतृत्व के सामने एकनाथ शिंदे ने छह महीने के लिए सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि अगर पूरे कार्यकाल सीएम पद देना संभव नहीं है तो शुरुआती छह महीने तक यह पद दिया जाए। शिंदे के इस प्रस्ताव को अमित शाह ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे गलत मिसाल कायम होगी। अमित शाह ने कहा कि यह गलत निर्णय होगा और इसका प्रशासन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
बीजेपी का जवाब सुनकर सन्न रह गए थे शिंदे
सामना में कहा गया कि शिंदे की मांग के बाद भाजपा नेतृत्व ने कहा कि छह महीने के लिए सीएम नियुक्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, शिंदे ने विधानसभा चुनाव से पहले के एक कथित वादे को याद दिलाया, जिसमें कहा गया था कि अगर बहुमत मिलता है तो वही मुख्यमंत्री रहेंगे। मगर भाजपा ने कहा कि पार्टी ने लगभग बहुमत हासिल कर लिया है। ऐसे में सीएम पद देना गलत है। बीजेपी ने शिंदे से कहा कि आपको भाजपा अध्यक्ष की जगह पर रख कर देखें। अगर आपको स्पष्ट बहुमत मिला होता तो क्या आप मुख्यमंत्री पद छोड़ देते? BJP का यह जवाब सुनकर शिंदे बिल्कुल अवाक रह गए।