भारत की घरेलू निवेश घोषणाओं में बड़ा इजाफा हो रहा है। पिछले दो वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24) में इसका आंकड़ा 37 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वित्तीय वर्ष 21 की 10 लाख करोड़ रुपये की तुलना में घरेलू निवेश योजनाओं में एक महत्वपूर्ण उछाल आया है। इसमें सरकार और निजी क्षेत्र दोनों का योगदान रहा है।
वित्तीय वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में 32 लाख करोड़ रुपये के निवेश का एलान
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 25 के पहले नौ महीनों के दौरान 32 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा की गई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 23 लाख करोड़ रुपये से कहीं अधिक है। यह वृद्धि देश भर में निवेश गतिविधियों में तेजी का संकेत देती है। रिपोर्ट के अनुसार निवेश घोषणाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ती ही जा रही है। वित्त वर्ष 21 में उनकी हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत थी जो बढ़कर वित्त वर्ष 22 और वित्त वर्ष 23 मेंलगभग 68 प्रतिशत हो गई।
कुल निवेश घोषणाओं में निजी क्षेत्र की 70% से अधिक की हिस्सेदारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भी यह रुझान जारी रहा। निजी क्षेत्र की कुल घोषित निवेशों में 70 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रही। इसने कहा “निजी क्षेत्र की ओर से चालू वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में पिछले वर्ष के 23 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 32 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा की गई।”
विनिर्माण क्षेत्र के लिए सबसे अधिक परियोजनाओं की हुई घोषणा
रिपोर्ट से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक परियोजनाएं देखी गईं। FY25 के पहले नौ महीनों दौरान के दौरान कुल 5,97,921 करोड़ रुपये के निवेश की 1,493 घोषणाएं हुईं। बिजली क्षेत्र ने सबसे अधिक निवेश मूल्य आकर्षित किया, जिसमें 13,58,783 करोड़ रुपये की 1,172 परियोजनाएं सामने आईं। खनन क्षेत्र में 56,628 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ 72 परियोजनाएं देखी गईं। तेल और गैस क्षेत्र में 35,623 करोड़ रुपये की 62 परियोजनाएं देखी गईं। ये आंकड़े आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने के चल रहे प्रयासों को दर्शाते हैं, जो आने वाले वर्षों में निरंतर विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
