साधु हाकिम सिंह चाय की स्टॉल चलाते हैं और उसी से अपना जीवन यापन करते हैं। साधु को अपने घरवालों पर यकीन नहीं था कि वे उनके मरने के बाद उनकी तेरहवीं करेंगे या नहीं। अपनी जमीन बेचकर उन्होंने गांव वालों को दावत दी। कार्ड छपवाकर बांटे और लोगों को आमंत्रित किया। इस दावत में गांव के लोग एकत्रित हुए।
मृत्योपरांत त्रयोदशी संस्कार (तेरहवीं) सभी ने सुना है। परिवार से अलग रह रहे साधु ने जीवित रहते हुए अपना त्रयोदशी संस्कार कराया। अब तक दूसरों के घर से अपनी दो वक्त की भूख शांत करने वाले साधु ने सैकड़ों लोगों को भोज कराया।
भोज के लिए अपनी जमीन बेचकर धनराशि का प्रबंध किया। त्रयोदशी संस्कार से संबंधित सभी रस्में पूर्ण कराईं। पूरे क्षेत्र में इस त्रयोदशी संस्कार की चर्चा है।
त्रयोदशी के लिए बांटे कार्ड
सकीट कस्बा के मुहल्ला मुंशी नगर के रहने वाले 60 वर्षीय साधु हाकिम सिंह ने कार्ड छपवाकर अपनी त्रयोदशी के निमंत्रण बांटे। साथ ही अनुरोध किया कि सभी को अवश्य आना है। सोमवार को हुए कार्यक्रम में 700 लोगों ने भोज ग्रहण किया। महिला, पुरुष, बच्चे, संत, गणमान्य सभी आए। इससे पहले साधु ने त्रयोदशी में होने वाले अनुष्ठान पूर्ण कराए। साधु ने मान्य पक्ष को दी जाने वाली वस्तुएं भी दीं। लोगों को अचरज तो हुआ, लेकिन न्यौता आया था, इसलिए वे पहुंचे।
साधु हाकिम सिंह का जन्म इसी मुहल्ले में हुआ था। वह चार भाई हैं। इनमें से दो बाहर रहते हैं, एक का निधन हो चुका है। साधु अपना जीवन यापन करने के लिए चाय का स्टाल भी लगाते हैं।
साधु ने कहा कि स्वजन की उनसे बनती नहीं है। मृत्योपरांत वे क्या करते, भरोसा नहीं है। इसलिए जीवित रहते हुए स्वयं का त्रयोदशी संस्कार कराया। उन्होंने अपनी जमीन बेच दी, जो धनराशि मिली उससे यह सारा प्रबंध कर दिया। शेष जमीन परिवार के लोगों ने दबा रखी है।