रुपये में गुरुवार को बड़ी कमजोरी दिखी. डॉलर के मुकाबले रुपया अब 85 के नीचे फिसल चुका है. भारतीय करेंसी पर ग्लोबल और घरेलू फैक्टर्स का असर देखने को मिल रहा, जिसके बाद रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसला है. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 84.95 के स्तर पर बंद हुआ था. आगे इसके पीछे की वजह और रुपये के आउटलुक की पूरी जानकारी जानते हैं.
Fruits For Skin Care: खाएं ये पांच फल…….’सर्दियों में त्वचा को कैसे रखें हेल्दी……
1. फेड के सख्त नजरिये से डॉलर में मजबूती
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने दिसंबर पॉलिसी बैठक में कुछ ऐसा फैसला लिया है, जिसका असर दुनियाभर में दिख रहा. फेड ने कहा है कि 2025 के दौरान दरों में सिर्फ 2 बार ही कटौती की गुंजाईश दिख रही है. सितंबर में 4 बार कटौती का अनुमान था. फेड ने कोर PCE महंगाई दर 2024 में 2.8% और 2025 में 2.5% रहने का अनुमान लगाया है. इससे साफ तौर पर अमेरिका में महंगाई लंबे समय तक टिकने के संकेत मिल रहे हैं.
इसके बाद डॉलर इंडेक्स 2 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया. भारत समेत दूसरे उभरते बाजारों की करेंसी मार्केट पर इसका असर दिखा. मॉर्गन स्टैनली ने भी अपने आउटलुक को रिवाइज करते हुए सतर्क नजरिया अपना लिया है.
2. व्यापार-घाटा रिकॉर्ड ऊपरी स्तर पर
अर्थव्यवस्था में सुस्ती से पहले ही रुपये पर दबाव था और इक्विटी मार्केट में वोलेटिलिटी का इसपर असर दिखा रहा था. अब रिकॉर्ड व्यापार घाटे के आंकड़े ने रुपये को और भी कमजोर करने का काम किया है. नवंबर महीने में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 37.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया है जोकि अक्टूबर में 27.14 अरब डॉलर पर था. गोल्ड इम्पोर्ट बढ़ने और एक्सपोर्ट में कमजोरी की वजह से व्यापार घाटे के आंकड़े में इतनी बढ़ोतरी देखने को मिली है. नोमुरा ने एक नोट में कहा है कि व्यापार तनाव बढ़ने और डॉनल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ बढ़ाने की आशंकाओं के बीच एक्सपोर्ट में कमजोरी दिख रही है.