देशभर में आज रविवार को रामनवमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया. इस अवसर पर ज्यादातर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्यक्रम किए गए. अक्षरधाम मंदिर में भी रामनवमी की पूजा की गई, साथ में आज ही भगवान स्वामीनारायण की जयंती भी मनाई गई.
अक्षरधाम मंदिर, खासकर दिल्ली स्थित मंदिर में आज खासा हलचल दिखी. स्वामीनारायण अक्षरधाम, नई दिल्ली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वीडियो पोस्ट कर स्वामीनारायण की जयंती के बारे में जानकारी दी. पोस्ट में जानकारी दी गई, “आज, चैत्र सुद 9 को हम भगवान स्वामीनारायण की दिव्य जयंती मनाते हैं. उन्होंने सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया और स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना की, और गुनातीत गुरुओं के जरिए साधकों को मोक्ष के लिए प्रेरित किया. स्वामीनारायण भगवान की जय!”
श्रीस्वामीनारायण की दिव्य जयंती
एक अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अक्षरधाम मंदिर ने पोस्ट करते हुए कहा, “आज, चैत्र सूद 9 को, हम भगवान श्रीस्वामीनारायण की दिव्य जयंती का जश्न मनाते हैं, जिन्होंने सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया, स्वामीनारायण संप्रदाय की स्थापना की, और अनगिनत आध्यात्मिक साधकों को मोक्ष के मार्ग पर प्रेरित करना जारी रखा.”
भगवान श्रीस्वामीनारायण की जयंती इस साल 6 अप्रैल को मनाई गई. यह पर्व हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ता है. स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक स्वामीनारायण का जन्म उत्तर प्रदेश के छपैया गांव में हुआ था. स्वामीनारायण को हिंदू धर्म का एक प्रमुख संत माना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि स्वामीनारायण श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं. अपनी बाल्यावस्था से ही वह अद्भुत और अलौकिक चमत्कारों के प्रदर्शन की वजह से लगातार चर्चा में रहे. स्वामीनारायण को बचपन में घनश्याम के नाम से जाना जाता था, बाद में वह सहजानंद स्वामी के नाम से जाने गए.
अक्षरधाम में मनाई गई रामनवमी
अक्षरधाम मंदिर में रामनवमी की भी धूम रही. दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर ने रामनवमी पर पोस्ट कर कहा, “चैत्र सुद 9 के इस पावन दिन पर हम भगवान श्रीराम के जन्म का उत्सव मनाते हैं- जो धर्म, दृढ़ता और अटूट भक्ति के प्रतीक भी हैं. वह हमेशा से सत्य, कर्तव्य और निस्वार्थ प्रेम के उनके आदर्श लाखों लोगों का मार्गदर्शन और प्रेरणा करते रहेंगे.”
मंदिर ने अपने पोस्ट में आगे कहा, “भगवान राम के दिव्य गुण हमें धार्मिकता और आंतरिक शक्ति की ओर ले जाएं. हम उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करें और खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनने का प्रयास करें. जय श्री राम.”
