देश में पुरानी पेंशन (Old Pension Scheme) बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मियों का आंदोलन बढ़ता जा रहा है। केंद्र और राज्यों के कर्मचारी संगठन अपने-अपने तरीके से ओपीएस लागू कराने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को चेताने के लिए कर्मियों ने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ की है। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा ने कहा है कि फरवरी तक सरकार की पहल का इंतजार करेंगे। इसके बाद देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। ट्रेनों व बसों का संचालन बंद हो जाएगा। सरकारी कार्यालयों में कलम नहीं चलेगी। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, केंद्र सरकार एनपीएस में संशोधन करने जा रही है। हम संशोधन के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। अगर कोई भी कर्मचारी नेता या संगठन, सरकार के संशोधन प्रस्ताव पर सहमत होते हैं, तो ‘2004’ वाली गलतियां, ‘2024’ में भी दोहराई जाएंगी।
क्या बुढ़ापे में कर्मियों की जरूरतें पूरी हो रही हैं
‘एनएमओपीएस’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, एनपीएस एक डस्टबीन है। करोड़ों कर्मियों का दस फीसदी पैसा और सरकार का 14 फीसदी पैसा, डस्टबीन में जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं होगा। पुरानी पेंशन पर आंदोलन जारी रहेगा। युवा कर्मियों को आगे आना पड़ेगा। बुढ़ापे की लाठी यानी ‘ओपीएस’ को लेकर बंधु ने कहा, सभी कर्मचारी उन लोगों के पास जाएं, जो एनपीएस में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनसे पूछें कि उन्हें कितनी पेंशन मिल रही है। क्या बुढ़ापे में उनकी जरूरतें पूरी हो रही हैं। दूसरी तरफ शिवगोपाल मिश्रा ने ‘रिले हंगर स्ट्राइक’ के दौरान कहा है कि केंद्र सरकार ने फरवरी माह तक ओपीएस बहाली नहीं की, तो देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। इस बीच केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट जल्द आने की अटकलें लगाई जा रही हैं। सूत्रों का कहना है कि इस माह के आखिर तक वित्त मंत्रालय की कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है। कर्मचारी संगठनों के नेताओं का कहना है, इस रिपोर्ट से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। वजह, ये कमेटी तो एनपीएस में सुधार के लिए गठित की गई है। सरकार ने ओपीएस बहाली का आश्वासन तक नहीं दिया।
केवल परिभाषित एवं गारंटीकृत ओपीएस मंजूर
कर्मियों के मुताबिक, केंद्र सरकार एनपीएस में ही ओपीएस जैसे कुछ प्रावधानों को शामिल कर सकती है। जैसे, रिटायरमेंट पर मिली बेसिक सेलरी का, एनपीएस में 40 से 45 फीसदी भुगतान बतौर पेंशन देने पर विचार हो रहा है। ऐसे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। ये बातें केवल ‘ओपीएस’ से ध्यान भटकाने का प्रयास है। सरकारी कर्मियों को बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। अगर सरकार पुरानी पेंशन की तर्ज पर एनपीएस में लाभ देना चाहती है, तो वह ओपीएस ही क्यों नहीं लागू कर देती। एनपीएस में कर्मियों का दस फीसदी हिस्सा कटता है। इस बात का जवाब कोई नहीं देता कि रिटायरमेंट पर क्या ब्याज सहित यह राशि मिलती है। क्या इस राशि पर डीए बढ़ोतरी का कोई असर होता है। एनपीएस में न तो डीए और न ही पे रिवाइज का लाभ मिलता है। नए वेतन आयोग के गठन का भी एनपीएस पर असर नहीं होगा। ऐसे में एनपीएस के तहत अंतिम सेलरी कभी रिवाइज ही नहीं होगी।
पेंशन न तो एक इनाम है, न ही अनुग्रह की बात
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी एवं जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, के द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत रिट पिटीशन संख्या 5939 से 5941, जिसको डीएस नाकरा एवं अन्य बनाम भारत गणराज्य के नाम से जाना जाता है, में दिनांक 17 दिसंबर 1981 को दिए गए प्रसिद्ध निर्णय का उल्लेख करना आवश्यक है। इसके पैरा 31 में कहा गया है, चर्चा से तीन बातें सामने आती हैं। एक, पेंशन न तो एक इनाम है और न ही अनुग्रह की बात है जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। यह 1972 के नियमों के अधीन, एक निहित अधिकार है जो प्रकृति में वैधानिक है, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के खंड ’50’ का प्रयोग करते हुए अधिनियमित किया गया है। पेंशन, अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है, बल्कि यह पूर्व सेवा के लिए भुगतान है। यह उन लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान करने वाला एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में, नियोक्ता के इस आश्वासन पर लगातार कड़ी मेहनत की है कि उनके बुढ़ापे में उन्हें ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ दिया जाएगा।
एनपीएस में रिटायर्ड कर्मियों को मिली इतनी पेंशन
एनपीएस में कर्मियों जो पेंशन मिल रही है, उतनी तो बुढ़ावा पेंशन ही है। एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 4900 रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते। एनपीएस में कर्मियों द्वारा हर माह अपने वेतन का दस फीसदी शेयर डालने के बाद भी उन्हें रिटायरमेंट पर मामूली सी पेंशन मिलती है। इस शेयर को 14 या 24 फीसदी तक बढ़ाने का कोई फायदा नहीं होगा। एआईडीईएफ के महासचिव सी.श्रीकुमार के मुताबिक, एनपीएस में पुरानी पेंशन व्यवस्था की तरह महंगाई राहत का भी कोई प्रावधान नहीं है। जो कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में आते हैं, उन्हें महंगाई राहत के तौर पर आर्थिक फायदा मिलता है। एनपीएस में सामाजिक सुरक्षा की गारंटी भी नहीं रही।