झारखंड में हेमंत सोरेन ने जनवरी 2024 में जेल जाने से पहले यही भरोसा चंपाई सोरेन पर किया और वो सीएम बनाए गए.
मगर जब नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी हुई तो जीतन राम मांझी, चंपाई सोरेन ने अपनी राहें अलग कर लीं और बीजेपी से हाथ मिला लिया.
अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने जब सीएम पद से इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया तो भरोसा आतिशी पर किया है. आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी.
सवाल ये है कि नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन के साथ हुए मामलों को देखते हुए भी अरविंद केजरीवाल ने आतिशी पर भरोसा क्यों किया?
अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी सक्रिय हो गई थीं. मीडिया में ऐसी चर्चा शुरू हो गई थी कि सुनीता केजरीवाल मुख्यमंत्री बन सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
आतिशी पर भरोसे की वजह?
आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू से कहा, ”जब अरविंद जी और मनीष जी जेल में थे, तब आतिशी ने पार्टी से जुड़े मसलों को संभालने के मामले में अपना लोहा मनवाया है. अरविंद और सिसोदिया के निर्देशों को आतिशी ही विधायकों और पार्षदों तक पहुंचा रही थीं. इसके अलावा आतिशी पार्टी में महिला चेहरा भी हैं.”
पार्टी के प्रवक्ता और बुराड़ी के पार्षद संजीव झा ने कहा, ”विधानसभा चुनाव होने में कुछ महीने ही बाक़ी हैं. हम पार्टी में बहुत बदलाव नहीं करना चाहते थे. आतिशी को इसलिए चुना गया क्योंकि वो अभी सबसे ज़्यादा विभागों को संभाल रही थीं. आतिशी को गवर्नेंस की अच्छी समझ भी है.”
आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने द हिंदू अख़बार से कहा- आतिशी को चुना जाना स्वाभाविक है क्योंकि वो भरोसेमंद हैं और कभी पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं गई हैं.
आतिशी के पास दिल्ली सरकार में फ़िलहाल 14 विभागों की ज़िम्मेदारी है. इसमें वित्त, शिक्षा और बिजली जैसे बड़े विभाग भी शामिल हैं.
जब आतिशी को इन ज़िम्मेदारियों के लिए चुना गया था, तब वो कई वरिष्ठ नेताओं को पीछे छोड़ते हुए आगे आई थीं. आतिशी को तब पार्टी के सह-संस्थापक और दो बार मंत्री रहे गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और राखी बिरला की तुलना में चुना गया.
”केजरीवाल ख़ुद आईआईटी ग्रैजुएट हैं. केजरीवाल के साथ ये रहा है कि वो हमेशा ज़्यादा पढ़े लिखे लोगों के साथ काम करना चाहते रहे हैं. केजरीवाल के कई सलाहकार आईआईटी ग्रैजुएट हैं. ऐसे में आतिशी का पार्टी में आगे बढ़ना स्वाभाविक था.”
आतिशी का आम आदमी पार्टी में उभार
इस साल स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान अरविंद केजरीवाल जेल में थे. तब केजरीवाल ने 15 अगस्त के दिल्ली सरकार से जुड़े कार्यक्रम में झंडा फहराने की ज़िम्मेदारी आतिशी को दी थी.
हालांकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत को झंडा फहराने के लिए नामित किया था.
आतिशी सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम करती रही थीं. दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में आम आदमी पार्टी जो अच्छे काम करने के दावे करती है, उसमें आतिशी की भूमिका अहम बताई जाती है.
आतिशी के माता-पिता दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर थे. अपनी विचारधारा को लेकर प्रोफ़ेसर विजय कुमार सिंह और तृप्ता वाही खुलकर बोलते रहे.
आतिशी के माता-पिता ने कार्ल मार्क्स और लेनिन के नामों के अक्षरों को जोड़कर आतिशी को ‘मार्लेना’ सरनेम दिया गया था. हालांकि 2019 चुनाव के दौरान आतिशी ने अपना ये सरनेम हर जगह से हटा लिया था.
आतिशी की बहन का नाम रोज़ा बसंती है. ये नाम भी पोलैंड में पैदा हुईं मार्क्सवादी विचारों वाली रोज़ा लक्जमबर्ग के नाम पर रखा गया था.
2019 चुनाव के दौरान आतिशी की जाति का मुद्दा बीजेपी के उठाने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा था- ”आतिशी सिंह है, उसका पूरा नाम. राजपूतानी है. पक्की क्षत्राणी…झांसी की रानी है. बच के रहना. जीतेगी भी और इतिहास भी बनाएगी.”
आतिशी की शादी प्रवीण सिंह से हुई थी. प्रवीण सिंह आईआईटी दिल्ली और आईआईएम अहमदाबाद से पढ़ाई कर चुके हैं.
दोनों ने 2007 में एक संस्था बनाई. इसके तहत शिक्षा के क्षेत्र में दोनों ने काम किया. आतिशी तब भोपाल में थीं.
यहीं उनकी मुलाक़ात प्रशांत भूषण से हुई थी, जिसके बाद आतिशी के आम आदमी पार्टी में आने का रास्ता खुला था.
आम आदमी पार्टी से जुड़े एक नेता ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा- एक वर्कशॉप के दौरान आतिशी की मुलाक़ात मनीष सिसोदिया से हुई थी, तब तक वो भी नेता नहीं बने थे.
बाद के दिनों में सिसोदिया और आतिशी ने साथ में काम किया.
राजनीति में आने से पहले आतिशी
आतिशी की पढ़ाई दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल से हुई. ग्रैजुएशन दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से हुई. फिर प्रतिष्ठित चिवनिंग स्कॉलरशिप मिली.
आतिशी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है.
पढ़ाई के बाद भारत लौटकर आंध्र प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाने लगीं. बाद में आतिशी पढ़ाई के लिए फिर विदेश गई थीं.
बताते हैं कि आम आदमी पार्टी के अंदर कुछ लोग आतिशी को ‘ऑक्सफोर्ड रिटर्न’ भी कहकर पुकारते हैं. आतिशी को जब सीएम बनाने का एलान हुआ तो सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी पढ़ाई का ज़िक्र किया.
कहा जाता है कि 2013 विधानसभा चुनाव में आतिशी आम आदमी पार्टी के पहले घोषणापत्र को बनाने वाली टीम में शामिल रही थीं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आतिशी डेवलपमेंट सेक्टर में लौटना चाहती थीं, मगर केजरीवाल ने ऐसा होने नहीं दिया और उन्हें पार्टी के साथ जुड़े रहने के लिए कहा.
प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और आतिशी
एक वक़्त में आतिशी पार्टी के संस्थापक रहे प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की क़रीबी रही थीं.
योगेंद्र यादव को बाद में आम आदमी पार्टी से बाहर निकाल दिया गया था. प्रशांत भूषण भी आम आदमी पार्टी से अलग हो गए.
मगर आतिशी पार्टी में बनी रहीं. साथ ही वो लगातार पार्टी में आगे बढ़ीं.
प्रशांत भूषण के पार्टी से अलग होने के बारे में साल 2015 में आतिशी के लिखे एक ईमेल की चर्चा ख़बरों में हुई थी.
ख़बरों के मुताबिक़, इस ईमेल में आतिशी ने लिखा था कि प्रशांत भूषण और केजरीवाल के बीच समझौता शांति भूषण की वजह से नहीं हो सका था.
साल 2012 में आम आदमी पार्टी के बनने के शुरुआती वक़्त में ये शांति भूषण ही थे, जिन्होंने पार्टी को एक करोड़ रुपये का चेक दिया था.
इस ईमेल में तब आतिशी ने लिखा था, ”मुझ पर प्रशांत जी ने नैतिकता खोने का आरोप लगाया. शांति भूषण जी ने मुझसे अपनी विश्वसनीयता खोने की बात कही. अरविंद के क़रीबियों में मुझे प्रशांत-योगेंद्र कैंप की कहा.”
मगर वक़्त के साथ आतिशी प्रशांत-योगेंद्र कैंप की बजाय अरविंद कैंप की हो गईं.
अरविंद केजरीवाल जब जेल में थे तो आतिशी उन कुछ लोगों में शामिल थीं, जो उनसे मिलने लगातार तिहाड़ जाती रहीं.
कहा जाता है कि आतिशी के ज़रिए ही जेल से केजरीवाल दिल्ली सरकार चला रहे थे.
दिल्ली सरकार में आतिशी
अन्ना आंदोलन के समय से ही आतिशी संगठन में सक्रिय रही थीं.
साल 2013 में आतिशी आम आदमी पार्टी से जुड़ीं.
साल 2015 से लेकर 2018 तक दिल्ली के तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के तौर पर आतिशी ने काम किया.
आम आदमी पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक़- मनीष सिसोदिया की सलाहकार रहते हुए उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने, स्कूल मैनेजमेंट कमिटियों के गठन और निजी स्कूलों को बेहिसाब फ़ीस बढ़ोतरी करने से रोकने के लिए कड़े नियम बनाने जैसे कामों में अहम भूमिका निभाई.
आतिशी को पहली बार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘आप’ ने उनको पूर्वी दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था. हालांकि बीजेपी के गौतम गंभीर के सामने आतिशी चुनाव में जीत नहीं सकीं.
फिलहाल आतिशी कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक हैं.
कहा जाता है कि जब 2020 में आतिशी को मंत्री पद नहीं दिया गया था, तब पार्टी के अंदर भी इसका विरोध हुआ था.
संकट के समय आतिशी
आम आदमी पार्टी पर बीते दिनों जब भी संकट के बादल आए तो आतिशी आगे दिखीं.
गोपाल राय ने 17 सितंबर को जब आतिशी के सीएम चुने जाने की जानकारी मीडिया को दी तो कहा- आतिशी मुश्किल हालात में दिल्ली की सीएम बन रही हैं.
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान की बुनियाद पर बनी आम आदमी पार्टी पर अब ख़ुद भ्रष्टाचार के आरोप हैं.
दिल्ली की शराब नीति से जुड़े कथित घोटाले में पार्टी के बड़े नेताओं पर केस चल रहे हैं. कई नेता ज़मानत पर बाहर हैं.
जब ये नेता जेल गए थे, तब आतिशी मीडिया के सामने पार्टी का चेहरा रहीं. सिसोदिया, केजरीवाल की गैर-मौजूदगी में भी अहम ज़िम्मेदारियां आतिशी को दी गई थीं.
दिल्ली में उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच भी तब तकरार होती है तो आतिशी आगे दिखती हैं.
बीते दिनों जल संकट को लेकर आतिशी ने भूख हड़ताल भी की थी.
वहीं जब पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल जब ‘आप’ नेताओं पर हमला बोलने लगीं तो जवाब देने आतिशी ही आगे आई थीं.
अब जब आतिशी को दिल्ली की सीएम बनाने का एलान हुआ है तो वो बोलीं- ”जब तक मैं सीएम हूं, मेरा एक ही मक़सद है कि अरविंद केजरीवाल को दोबारा सीएम बनाना है. मैं अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में काम करूंगी. मैं आज दिल्ली की दो करोड़ जनता की तरफ़ से यही कहना चाहती हूं कि दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल है.”
मनीष सिसोदिया ने आतिशी के बारे में 17 सितंबर को सोशल मीडिया पर लिखा- ”आतिशी जी की यह ज़िम्मेदारी है कि बीजेपी के आतंक से दिल्ली की जनता की रक्षा करेंगी. मुझे पूरा यक़ीन है कि आतिशी जी इन कठिन ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाएँगी. मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आतिशी जी के साथ हैं.”
सिसोदिया के इस ट्वीट को साझा करते हुए केजरीवाल ने लिखा- ”आतिशी जी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ…”