बालाघाट के बिरसा के ग्राम मोहगांव में रहने वाली जुगतीबाई पहली बार 13 वर्ष की उम्र में मां बनी थीं। उनकी बड़ी बेटी की उम्र 22 वर्ष है। जुगतीबाई और उसका पति मजदूरी करते हैं। जुगतीबाई ट्रामा सेंटर में भर्ती है, जबकि नवजात शिशु का एसएनसीयू में उपचार किया रहा है।
बालक की स्थिति नाजुक होने से एसएनसीयू में इलाज जारी
सिविल सर्जन डा. निलय जैन ने बताया कि अकलू सिंह मरावी की पत्नी जुगतीबाई बैगा समुदाय से हैं। महिला की सेहत ठीक है, लेकिन नवजात (बालक) की स्थिति नाजुक बनी हुई है, जिसका एसएनसीयू में इलाज चल रहा है। डा. जैन ने बताया कि नवजात बच्चे का वजन औसत है। उसकी सेहत सुधार की ओर है। हालांकि, स्थिति दो से तीन दिन में स्पष्ट हो पाएगी।
यह अनोखा मामला है। महिला की सेहत बेहतर है लेकिन नवजात की हालात नाजुक बनी हुई है। चिकित्सकों की निगरानी में बच्चे का उपचार चल रहा है। आने वाले दो-तीन दिन उसके लिए काफी अहम होंगे। हालांकि, बच्चे की सेहत में धीरे-धीरे सुधार देखने मिल रहा है।
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डा. निलय जैन, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल बालाघाट
नसबंदी को लेकर नियम व शर्तें अलग हैं
- समुदाय के संरक्षण को ध्यान में रखकर बैगा समुदाय के पुरुष व महिला की नसबंदी के नियम अलग हैं।
- जुगतीबाई का प्रसव कराने वाली महिला चिकित्सक डा. अर्चना लिल्हारे ने नईदुनिया से बताया कि सच है।
- डा. अर्चना लिल्हारे बोलीं-अगर कोई पुरुष या महिला अपनी नसबंदी करना चाहते हैं, तो करा सकते हैं।
- कलेक्टर या एसडीएम से अनुमति प्राप्त करनी होती है। जुगतीबाई का परिवार दूरस्थ वनग्राम में रहता है।
- जागरूकता की कमी के कारण उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। 22 वर्षीय बेटी की शादी हो चुकी है।