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January 18, 2025 1:06 pm

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अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों की फसल बचाने हेतु राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन सौंपा गया

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अनुसूचित जाति एवं जनजाति की फसल को बचाने के लिए को राष्ट्रपति महोदया को भारत सरकार को अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों की खड़ी फसल को बर्बाद होने से बचाने हेतु एसडीओ सरमथुरा के माध्यम से ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में रामेश्वर दयाल, जिला अध्यक्ष, आदिवासी मीणा पंच पटेल महापंचायत जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद जिला धौलपुर ने स्थानीय किसानों के साथ विनती कि कई दशकों से तहसील के किसानों की खड़ी फसलों को जंगली जानवर जैसे रोझ, रोजडी, नीलगाय, सूअर, सिह आदि नुकसान पहुंचा रहे हैं जिससे अनुसूचित जाति जनजाति के किसानों को खड़ी फसल का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके लिए किसानों को रोजाना रात भर जाग कर खेती को बचाने का प्रयास करना पड़ रहा है, जिससे किसानों को हजारों ही नहीं लाखों रुपए, कुल मिला करोड़ों रु. खर्च करने पड़ रहे हैं फिर भी खड़ी फसल को बर्बाद किया जा रहा है। जंगली जानवर वन विभाग की संपत्ति है फिर भी वन विभाग तहसील सरमथुरा जिला धौलपुर जानकर भी अनजान बना हुआ है और फसलों को बर्बाद होते देख रहा है। इस प्रकार कई करोड़ रु. का किसानों की फसल का नुकसान हो गया है।

ज्ञापन में आगे कहा गया है कि विभाग के अधिकारियों को बार बार विनती की गयी है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। राजस्थान संपर्क पोर्टल पर की गयी शिकायतों पर भी कोई कार्यवाही नही की गयी है, प्रतिलिपि संलग्न है।

सरमथुरा तहसील देश के सबसे पिछड़े जिलों में सामिल धोलपुर जिले की सबसे पिछड़ी तहसील है जहाँ पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों का बाहुल्य है और किसान हर साल सूखे से प्रभावित है जहाँ खेती के अलावा कोई अन्य साधन जीविका के लिए नहीं है इसलिए हजारों की संख्या में ग्रामीण यहाँ से पलायन भी कर रहे है फिर भी प्रशासन अनजान है।

ग्रामीण रात भर खेतों 1 डिग्री सेल. तापमान में रात भर जागते हैं और दिन भर खेतों में कार्य करके उन्हें आराम न मिलने के कारण स्वास्थ्य पर बिपरीत असर पड़ रहा है। किसानो की फसल को बर्बाद करने के आधार पर धारा-3 (अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अत्याचार निवारण अधिनियम 1989) के तहत कार्यवाही के हालात बन रहे हैं।

एसडीएम सर मथुरा के माध्यम से दिए ज्ञापन में यह निवेदन किया गया है कि वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी क दिशा निर्देश दें ताकि वे मौके पर जाकर मुआयना कर खेतों में हुए नुकसान का पता कर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों को मुआवजा दिलवा सकें। साथ ही जंगली जानवरों को नियंत्रित करने के भी आदेश प्रदान करें।

यह देखने में आया है कि राजस्थान में अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों की खड़ी फसल को वन विभाग के जानवर पूरी साल भर बेहद नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन कोई भी सरकार और कोई भी जनप्रतिनिधि अनुसूचित जाति/ जनजाति के किसानों की फसल की रक्षा के लिए कोई आगे नहीं आता।

संविधान प्रदत अधिकारों के तहत रामेश्वर दयाल पूर्व कस्टम अधिकारी ने कानून की बारीकी से अध्ययन कर अनु. जाति/ जनजाति के लिए संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत धारा-3 (अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अत्याचार निवारण अधिनियम 1989) के प्रावधानों के जरिए हजारों नहीं, लाखों किसानों को इस परेशानी से बचाने का एक संवैधानिक हथियार हाथ में लिया है। रामेश्वर दयाल, गांव गांव जाकर और व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिए आमजन को जागरुक कर रहे हैं। यह पहल सभी को समझ में आ रही है और सभी जगह से उन्हें सकारात्मक सहयोग भी मिल रहा है।
इनका कहना है : वन विभाग के पशु हमारे लाखों किसानों की फसल को कई दशकों से खराब कर करोड़ों रुपए का नुकसान कर रहे हैं और अब समय आ गया है कि हमें संविधान प्रदत्त अधिकारों का सहारा लेकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ें। मुझे उम्मीद है कि, मेरी लडाई इमानदारी और गरीब के हितों के लिए है इसीलिए मुझे इसमें सभी के सहयोग से जीत मिलेगी, मुझे पूर्ण विश्वास है।

रामेश्वर दयाल गांव खिन्नोट तहसील सरमथुरा जिला धोलपु

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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