बच्चों को सही परवरिश देना हर मां-बाप की जिम्मेदारी होती है। यकीनन वो पूरी कोशिश भी करते हैं कि अपने बच्चे को हर वो सुविधा दें, जो भविष्य में उसे आगे बढ़ा सके। हालांकि कई बार पैरेंट्स का ध्यान सिर्फ फिजिकल चीजों तक ही सीमित हो जाता है और पीछे छूट जाती है बच्चे की मेंटल हेल्थ। यूं तो आजकल मेंटल हेल्थ पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। बड़ी सिटीज में तो पैरेंट्स बच्चों को थेरेपी जैसी चीजों के लिए भी ले रहे हैं। हालांकि छोटे शहरों और मिडिल क्लास परिवारों में आज भी मेंटल हेल्थ को लेकर उतनी जागरूकता नहीं है। जान बूझकर ना सही लेकिन पैरेंट्स खुद कुछ ऐसी गलतियां कर रहे हैं जो बच्चे की मेंटल हेल्थ के लिए खराब हो सकती हैं। इन बातों का असर बच्चे के दिमाग पर काफी गहरा हो सकता है। चलिए आज इन्हीं बातों को जानते हैं।
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बच्चों से ज्यादा उम्मीदें रखना
अपने बच्चों से उम्मीदें रखना कोई गलत बात नहीं। हर मां-बाप चाहते हैं कि जीवन में जितना कुछ भी उन्होंने किया, उससे कहीं ज्यादा उनका बच्चा करे। हालांकि हद से ज्यादा उम्मीदें रखना बच्चे की मेंटल हेल्थ पर असर डाल सकता है। ये जरूरी नहीं कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चा खेल, डांस और बाकी फिजिकल एक्टिविटीज में भी हमेशा अव्वल ही रहे। ऐसे में बच्चों पर बेवजह का दबाव डालकर आप उनके मानसिक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
बच्चों को अलग-अलग टैग देना
कई पेरेंट्स की आदत होती है कि वो बच्चों को अलग-अलग चीजों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए, उन्हें कोई ना कोई टैग देते रहते हैं। इसका असर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा पड़ता है। उदाहरण के लिए बच्चों को आलसी बोलना, पढ़ाई में कमजोर बच्चों को बार-बार उनकी कमजोरी का एहसास दिलाना या किसी काम के खराब हो जाने पर इसके लिए बच्चों को जिम्मेदार ठहरा देना। ऐसा बार-बार करने से बच्चों के मन में हीन भावना आने लगती है और उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है।
जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतना
कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को लेकर बहुत ही सख्त होते हैं। यह भी कहीं ना कहीं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता ही है। बच्चों को अनुशासन में रखना अच्छी बात है लेकिन जरूरत से ज्यादा सख्ती रखना गलत है। अगर आप अपने बच्चों को एक-एक कदम पर टोकते रहते हैं, तो ऐसे बच्चे कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बन पाते हैं। इसके साथ ही पेरेंट्स के इस बिहेवियर से बच्चे घुटन भी महसूस करने लगते हैं।
बच्चों को मोटिवेट ना करना
बच्चों की अच्छे मेंटल हेल्थ के लिए उन्हें समय-समय पर मोटिवेट करना बहुत जरूरी है। पेरेंट्स को चाहिए की वो बच्चों की छोटी, बड़ी उपलब्धियों पर दिल से उनकी प्रशंसा करें और अपनी खुशी जाहिर करें। इसके साथ ही अगर बच्चे को कहीं पर फेलियर मिलता है तो उसे डांटने या कोसने के बजाय समझाएं कि हार और जीत जीवन का एक हिस्सा है। इससे बच्चे मानसिक रूप से हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार होते हैं।
हमेशा बच्चों की तुलना करते रहना
अक्सर पेरेंट्स दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करने लगते हैं, लेकिन यह किसी भी मायने में सही नहीं है। इसका बच्चों की मेंटल हेल्थ पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। बाकी बच्चों से तुलना करने पर बच्चों में जलन और दुर्भावना विकसित होती है। पेरेंट्स को समझना चाहिए कि हर बच्चे की अपनी अलग काबिलियत होती है। दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करने के बजाय, अपने बच्चों की काबिलियत को पहचान कर उसे निखारने का प्रयास करें।