केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कर्ज की ब्याज दरों को कम करने की अपील की है. उन्होंने SBI बैंकिंग और इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2024 में कहा कि मौजूदा ब्याज दरें लोगों और उद्योगों के लिए भारी पड़ रही हैं. वित्त मंत्री ने जोर दिया कि इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने और नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने के लिए कर्ज सस्ता होना चाहिए.
उनका मानना है कि महंगे कर्ज से उद्योगों का विकास धीमा हो सकता है, जबकि सरकार चाहती है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े.
आरबीआई की दरें स्थिर, लेकिन महंगाई बढ़ी
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पिछले 10 मॉनेटरी पॉलिसी बैठकों में रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा है. हालांकि, अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6.2% तक पहुंच गई, जो पिछले 14 महीनों में सबसे ज्यादा है. इसका मुख्य कारण सब्जियों और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें हैं.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) महंगाई में जल्द ही कमी आने की उम्मीद है. लेकिन वित्त मंत्री की अपील से यह साफ है कि ब्याज दरों को लेकर सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है.
गोयल और दास की नोकझोंक
पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ब्याज दरों में कटौती की जरूरत पर टिप्पणी की थी. इस पर आरबीआई गवर्नर ने मजाकिया लहजे में जवाब देते हुए कहा कि वह दिसंबर की मॉनेटरी पॉलिसी के लिए इसे “रिजर्व” रखेंगे.
नए कदम: एसबीआई की 500 नई शाखाएं
निर्मला सीतारमण ने 2025 तक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की 500 नई शाखाएं खोलने की घोषणा की है. यह फैसला ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. इससे कर्ज लेने वालों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी.
ब्याज दरें कम होने से क्या होगा फायदा?
- सस्ती ब्याज दरें छोटे और मध्यम व्यवसायों (SMEs) के लिए फायदेमंद होंगी.
- उद्योगों में निवेश और विस्तार के अवसर बढ़ेंगे.
- आम जनता पर कर्ज का बोझ कम होगा.
गौरतलब है कि वित्त मंत्री की यह अपील बैंकों और आरबीआई के लिए एक स्पष्ट संदेश है. सस्ती ब्याज दरें न केवल आम लोगों के लिए राहत लाएंगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी गति देंगी. सरकार और आरबीआई को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है.