जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि 29 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह इस्तीफा देंगे. वहीं राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नीतीश कुमार एक बार फिर से पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान संभालेंगे.
ललन सिंह के इस्तीफे की खबर की अबतक आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है. सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से पहले बने विपक्षी दलों के गठबंधन में जेडीयू भी शामिल है. गठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे, नेताओं के बीच बातचीत समेत कई ऐसी जिम्मेदारी हैं, जो ललन सिंह को सौंपी जा सकती हैं. यानी सरल शब्दों में कहें तो ललन सिंह को राष्ट्रीय राजनीति में पूरी तरह एक्टिव किया जा सकता है. इसको देखते हुए उन्होंने खुद ही इस्तीफे की पेशकश की है.
खबर ये भी है कि ललन सिंह के इस्तीफे के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी नीतीश कुमार अपने पास ही रख सकते हैं. अगर रामनाथ ठाकुर समेत किसी बड़े नेता को अध्यक्ष बनाया गया तो पार्टी नेताओं को अंदर विरोधाभास हो सकता है. इसीलिए ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अपने पास ही पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान रख सकते हैं.
ललन सिंह के इस्तीफे पर बोले सम्राट चौधरी
वहीं ललन सिंह के इस्तीफे की खबर पर बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वो पार्टी में क्या हैं, नीतीश कुमार पार्टी में सब चीजें तय करते हैं, ललन सिर्फ केयरटेकर हैं. हम लोग नीतीश कुमार और लालू जी से लड़ने के लिए तैयार हैं वह चाहे जिस रूप में आएं.
2021 में अध्यक्ष बने थे ललन सिंह
जुलाई, 2021 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. दरअसल केंद्र में नीतीश कोटे से मंत्री बने आरसीपी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद ललन सिंह को पार्टी की जिम्मेदारी मिली थी. इससे पहले ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि ललन सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन बाजी आरसीपी सिंह के हाथ लगी थी.
कौन हैं ललन सिंह ?
ललन सिंह का असली नाम राजीव रंजन सिंह हैं. वे मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. ललन सिंह बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वो जेडीयू के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. जेपी आंदोलन में भी ललन सिंह शामिल हो चुके हैं. कई बार नीतीश कुमार और उनके बीच अनबन की खबरें सामने आईं लेकिन वे महज खबरें ही रहीं. नीतीश कुमार और उनकी अटूट दोस्ती का ही नतीजा है कि वे लंबे अरसे से पार्टी के साथ बने हुए हैं.