पिछले कुछ वर्षों में क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. वहीं, बैंकों ने भी इसे जमकर प्रमोट किया है. इसके अलावा, केडिट कार्ड के जरिए शॉपिंग करने पर तमाम ऑफर भी मिलते हैं, जिसके वजह लोग इसकी ओर आकर्षित हुए हैं. हालांकि जितनी तेजी से क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, उसी रफ्तार से लोग क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर भी हो रहे हैं,जिसके कई नकारात्मक परिणाम होते हैं.
लगातार बढ़ रही क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर की संख्या
दरअसल, क्रेडिट कार्ड ड्यू पेमेंट का लेवल लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से क्रेडिट कार्ड से कर्ज लेने वाले लोगों का काफी फाइनेंशियल परेशानियों का मुकाबला करना पड़ रहा है. एक रिपोर्ट ने ट्रांसयूनियन सिबिल के आंकड़ों के हवाले से बताया, जून 2024 में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट बढ़कर जून 2024 में 1.8% हो गया, जो 6 महीने पहले 1.7% था, जबकि मार्च 2023 में 1.6% था. टाइम्स ऑफ इंडिया के मयूर शेट्टी ने लिखा, प्रतिशत में यह बढ़ोतरी भले ही कम लग रही हो, लेकिन लोन अमाउंट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
जून 2024 तक 2.7 लाख करोड़ रुपये का बकाया
बता दें कि वित्त साल 2024-25 की पहली तिमाही यानी जून 2024 तक क्रेडिट कार्ड पर बकाया राशि लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये थी, जो मार्च 2024 में 2.6 लाख करोड़ रुपये और मार्च 2023 में 2 लाख करोड़ रुपये से थोड़ी अधिक थी. वहीं, साल 2019 में कोरोना संकट से पहले कुल बकाया राशि 87,686 करोड़ रुपये थी.
डिफॉल्टर होने पर हो सकता है ये नुकसान
मालूम हो कि जब आप कई महीनों तक लगातार केडिट कार्ड के बिल को नहीं भरते हैं तो, आपका खाता डिफाल्ट कर दिया जाता है. दरअसल, 30 दिन के भीतर ड्यू पेमेंट का भुगतान नहीं करने पर सबसे पहले का क्रेडिट अकाउंट बकाया होगा, जबकि लगातार 6 महीने तक बिल पेमेंट नहीं करने पर आपको डिफॉल्ट कैटेगरी मार्क किया जाता है, इसके बाद बैंक आपसे संपर्क करेगा और आपसे बिल पेमेंट के लिए प्रेरित करेगा. लेकिन इसके बाद भी आप नहीं भुगतान कर पाते हैं, तो आपको डिफॉल्ट घोषित करते हुए अकाउंट बंद कर दिया जाता है. इसके बाद आपको आगामी भविष्य हो सकता है कि लोन न या क्रेडिट कार्ड न जारी किया जाए.