Explore

Search

April 19, 2025 1:59 am

लेटेस्ट न्यूज़

जानें- क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह……’क्या आपको भी मिला है; इस साल कम इनकम टैक्स रिफंड……

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

इनकम टैक्स विभाग ने टैक्सपेयर्स को ईमेल भेजकर बताया है कि उनके इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) असेसमेंट और रीअसेसमेंट के लिए पेडिंग है. इसलिए ITR का एनालिसिस पूरा करने के बाद ही रिफंड का पैसा टैक्सपेयर्स के खाते में पहुंचेगा. धारा 245 इनकम टैक्स विभाग को आपके वर्तमान वर्ष के टैक्स रिफंड को किसी भी वर्ष की टैक्स डिमांड राशि के साथ एडजस्ट करने की शक्ति देती है. धारा 245 के मामले में अवधि की कोई सीमा नहीं है.

इसलिए अगर आपको भी कम टैक्स रिफंड मिला है, तो परेशान या हैरान होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि इनकम टैक्स विभाग आपके पिछले टैक्स को एडजस्ट करने की प्रक्रिया में हो.

Tips to Conceive: फर्टिलिटी में होगा सुधार…….’जल्दी करना चाहती हैं कंसीव तो डाइट में शामिल करें ये फल……

ईमेल में क्या कहा गया है?

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसी संदर्भ में 11 मार्च 2025 को इनकम टैक्स डिप्टी डायरेक्टर ने टैक्सपेयर्स को कई ईमेल भेजे हैं, जिनमें कहा गया है कि आपके मामले में असेसमेंट या रीअसेसमेंट पेंडिंग है. इसलिए इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 245(2) के प्रावधानों के अनुसार ज्यूरिडिक्शन असेसिंग ऑफिसर (JAO) द्वारा तय किए गए जवाब के आधार पर रिफंड जारी किया जाएगा या रोका जाएगा.

कब होता है रीअसेसमेंट?

इस टैक्स नोटिस को समझने के लिए, आपको ITR फाइलिंग की प्रक्रिया को समझना होगा. यह आपके द्वारा ऑनलाइन या आधिकारिक यूटिलिटीज के जरिए सही ITR फॉर्म दाखिल करने से शुरू होती है. एक बार जब आप ITR फाइल कर देते हैं, तो सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग यूनिट (CPC) परिभाषित पैरामीटर और कानूनी प्रावधानों के अनुसार ITR की जांच करता है.

अगर उसे संदेह होता है कि ITR की प्रोसेसिंग के बाद टैक्स की डिमांड जेनरेट हो सकती है, तो वह ITR को चिह्नित करता है और आगे के असेसमेंट के लिए टैक्स निर्धारण अधिकारी (AO) को भेजता है.

कितने दिनों के भीतर पूरी करनी होती है प्रक्रिया?

CPC से सूचना मिलने के बाद फेसलेस असेसिंग अधिकारी (FAO) को 20 दिनों के भीतर पेडिंग असेसमेंट और रीअसेसमेंट के मामले में जेनरेट होने वाली मांग के बारे में JAO को सूचित करना आवश्यक है. इसके बाद CPC सूचना के आधार पर, JAO को टैक्सपेयर्स के मामले में वित्तीय स्थिति, पिछली मांगों, पेडिंग अपील जैसे फैक्टर पर मामले का तथ्यात्मक विश्लेषण करने के बाद लिखित रूप में कारण दर्ज करने की आवश्यकता होती है. ऐसे रिफंड को रोकने के लिए इनकम टैक्स केज्यूरिडिक्शन प्रिंसपल कमिश्नर मंजूरी लेनी होती है.

अधिनियम की धारा 245(2) के तहत रिफंड को रोकने/जारी करने के संबंध में अंतिम फैसले के लिए JAO को दिया गया समय 30 दिन है. इस प्रकार टैक्सपेयर के रिफंड को रोकने या जारी करने का निर्धारण करने की कुल समय सीमा CPC द्वारा दी गई सूचना की तारीख से 50 दिन है.

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर