हेपेटाइटिस सी को “हेप सी” के रूप में भी जाना जाता है। ये एक प्रकार का वायरल संक्रमण के कारण होता है, और कुछ लोग इसे “एचसीवी” के नाम से भी जानते है। हेपेटाइटिस सी संक्रामक है, और यह तब फैलता है जब इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति का रक्त किसी अन्य व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश करके मिल जाएं। जैसे पिर्यसिंग की दौरान अगर दो से ज्यादा व्यक्ति एक ही सुई का इस्तेमाल करते है तो ये संक्रमण होने का खतरा रहता है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या ये इंफेक्शन सेक्स या ओरल सेक्स के जरिए भी फैल सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो ओरल सेक्स के अलावा यौन गतिविधि के दौरान हेपेटाइटिस सी के संक्रमण का जोखिम कम रहता है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन (सीडीसी), के अनुसार हेपेटाइटिस सी किसिंग, गले मिलने, बर्तन शेयर करने, जुकाम और साथ खाने या पीने से नहीं फैलता है। इसके अलावा ये वायरस लार या थूक के जरिए भी नहीं फैलता है। आइए जानते है कि हेपेटाइटिस सी व्यक्ति के संपर्क में आने से या यौन संबंध बनाने से क्या खतरा रहता है।
क्या है हेपेटाइटिस सी ?
ये वायरल इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति के रक्त में पहुंचकर लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे लीवर में सूजन और निशान बनने का खतरा रहता है। जिसे फ्राइब्रोसिस भी कहा जाता है। जो आगे चलकर सिरोसिस का रुप भी ले सकता है। हेपेटाइटिस सी की वजह से लीवर फेल और लीवर कैंसर की समस्या भी हो सकती है।सीडीसी की मानें तो 2016 में सिर्फ यूनाइटेड स्टेट्स में ही लगभग 24 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से जूझ रहे थे।
क्या ये यौन संचारित रोग है?
सेक्सुअल कॉन्टेक्ट की वजह से हेपेटाइटिस सी के संक्रमण का खतरा कम रहता है लेकिन फिर एक प्रतिशत संक्रमण का खतरा बना रहता है।
– समलैंगिक पुरुषों के अलावा एक से ज्यादा साथी से यौन संबंध बनाने और एचआईवी संक्रमितों में ये समस्या आम होती है।
– 1998 में इस विषय पर हुए एक रिसर्च के अनुसार ओरल सेक्स के वजह से ये संक्रमण होने की खतरे न के बराबर होते है। विशेषज्ञों के अनुसार ये संक्रमण लार की वजह से नहीं बल्कि रक्त के जरिए शरीर में प्रवेश करके संक्रमित करता है।
– सेक्स के दौरान संक्रमित होने की संभावना बहुत ही कम रहती है क्योंकि ये इन्हीं स्थितियों में संभव है जब सेक्स के दौरान स्किन में कट आ जाएं या कंडोम जैसे प्रोटेक्शन भी कम प्रभावी हो जाएं।
इन स्थितियों में होता है संक्रमित होने का खतरा
– माहवारी
– फटे या कटे होठ
– नासूर या पुराना घाव
– मुंह या मसूड़े से खून का बहना
– गले में संक्रमण
– जननांग में मस्सा या दाद होना।
कैसे फैलता है?
संक्रमित व्यक्ति के शरीर में हेपेटाइटिस सी वायरस, रक्त, वीर्य और अन्य प्रकार के शरीर में मौजूद फ्लूड में मौजूद होता है। इस वायरस के कण किसी भी तरह स्वस्थ व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश करके उसे संक्रमित कर देते है। विशेषज्ञों की मानें तो ये वायरस पुरुषों के वीर्य में पाया जाता है लेकिन इससे ये बात साबित नहीं होती है कि ये हेपेटाइटिस सी के इंफेक्शन के के खतरे को कैसे बढ़ाता है। इससे बचाव के लिए एक्सपर्ट आपको सेफ सेक्स के लिए कंडोम इस्तेमाल की सलाह देते है।
इसे फैलाने वाले कारक
– हेपेटाइटिस सी संक्रमित मां के गर्भ से जन्म लेना।
– अगर निपल्स में दरार या खून बह रहा है, तब स्तनपान करना।
– 1945 और 1965 के बीच पैदा हुए लोगों में, क्योंकि उस समय इस संक्रमण की दर ज्यादा थी।
– रेज़र, टूथब्रश, या ग्रूमिंग क्लिपर्स को शेयर करने से।
– गंदे और बिना सेनेटाइज्ड सुई से टैटू बनवाने से।
– इंजेक्शन लगाने वाली दवाएं
– नाक के माध्यम से ड्रग्स लेना
– हेपेटाइटिस सी वाले व्यक्ति से अंग प्रत्यारोपण करने की वजह से भी होता है।
लक्षण
हेपेटाइटिस सी से ग्रसित बहुत से लोगों को मालूम ही नहीं होता है कि वो इस संक्रमण से ग्रस्त है। लगभग 20-30% लोगों में ही लक्षण विकसित होते हैं। इस संक्रमण में आमतौर पर 2-12 सप्ताह के बाद ही संक्रमण दिखाई देते हैं, लेकिन उन्हें उभरने में 26 सप्ताह तक का समय लग सकता है। इसके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते है कि ये संक्रमण छोटक के अंतराल के लिए है ये नियमित है-
– भूख की कमी
– एक बुखार
– पेट में दर्द
– थकान
– लीवर में शिथिलता
– गहरा मूत्र
– काले रंग का मल
– जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द
– पीलिया, जिसमें त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद होना
– डिप्रेशन
ज्यादातर लोग जो लक्षणों का अनुभव करते हैं वे ऐसा तभी करते हैं जब लीवर काफी हद तक डैमेज हो चुका होता है। एक व्यक्ति को केवल नियमित रक्त परीक्षण या रक्तदान के बाद ही पता चल सकता है कि उसे हेपेटाइटिस सी है। जैसे ही आपको इन लक्षणों का अनुभव हो या ब्लड टेस्ट में ये बात सामने आएं तो तुरुंत प्रभाव से जाकर डॉक्टर से मिलें।
हर साल 15 लाख नए मामले आ रहे है सामने
डब्लूएचओ की मानें तो विश्वभर में अनुमानित 58 मिलियन लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमण से संक्रमित है, जिसमें प्रति वर्ष लगभग 1.5 मिलियन यानी 15 लाख नए मामले सामने आ रहे है। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 2019 में, लगभग 290 000 लोगों की मृत्यु हेपेटाइटिस सी से हुई, जिनमें से ज्यादातर सिरोसिस और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (प्राथमिक यकृत कैंसर) मुख्य जिम्मेदार थे।
भारत में स्थिति
भारत में हेपेटाइटिस बी की तुलना में हेपेटाइटिस सी के कैसेज कम है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के हेपेटाइटिस संक्रमण पर की गई रिसर्च डाटा के अनुसार भारत में क्रोनिक एससीवी संक्रमण की दर लगभग एक प्रतिशत है।
– पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, पंडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में हेपेटाइटिस सी के मामले ज्यादा देखने को मिले है।
– इन प्रदेशों में एससीवी की बढ़ती दर के पीछे जो वजह सामने आई है वो है इंजेक्शन से नशीले पदार्थो का सेवन करना और ट्रक चालकों और यौनकर्मियों के वजह से फैलने वाला यौन संचारित रोग।
– पूर्वोत्तर भारत में कुछ समय में हेपेटाइटिस सी के मामले बढ़े है। इसकी एक वजह से युवाओं में बढ़ती नशे की लत। इंजेक्टिंग ड्रग यूजर्स (IDUs) पर हुई एक स्टडी के दौरान मालूम चला है कि सक्रिय IDUs में 71.2 प्रतिशत एसचीवी के मामले बढ़े। वहीं अरुणाचल में ये दर 7.89 प्रतिशत थी।