auruhana2.kz
autokolesa.kz
costacoffee.kz
icme2017.org
kenfloodlaw.com

Explore

Search

July 11, 2025 3:03 pm

ईरान पर हमले का क्या कोई कनेक्शन…….’पाकिस्तानी जनरल मुनीर के साथ राष्ट्रपति ट्रंप का लंच……

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

आखिरकार जिस चीज की कयास लगाई जा रही थी वो अमेरिका के ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर हमले के साथ पूरी हो गई. इजराइल की ओर से ईरान पर हमले के बाद से ही यह कहा जा रहा था कि अमेरिका कभी भी इस जंग में शामिल हो सकता है. खास बात यह है कि अमेरिका के जंग में शामिल होने से करीब 4 दिन पहले वाशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को लंच पर बुलाया था. तब कहा गया कि दोनों के बीच ईरान के मसले पर बात हुई थी.

वाशिंगटन में 18 जून को ट्रंप और मुनीर के बीच मुलाकात के 4 दिन बाद ही ट्रंप ने ईरान की सरजमीं पर हमले कर दिया. तब मुलाकात को लेकर ट्रंप ने बताया कि मुनीर के साथ ईरान के मुद्दे पर चर्चा हुई. यह मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही थी क्योंकि पाकिस्तान की सीमा ईरान की सीमा से लगती है. दोनों देशों के बीच करीब 900 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. ऐसे में अमेरिकी हमले की सूरत में पाकिस्तान की स्थिति बेहद अहम हो जाती है.

तो इस तरह खुद को करें मोटिवेट…….’सोचने के बाद भी नहीं कर पा रहे हैं योग……

अमेरिका ने किया 2003 वाले पैटर्न का इस्तेमाल

अमेरिका के ईरान में हमले के बाद पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप और मुनीर के बीच संभवतः अमेरिकी ऑपरेशन के बारे में पाकिस्तान के साथ चर्चा की गई होगी. शायद विस्तार से नहीं, लेकिन हो सकता है कि ईरान को कुछ मैसेज भेजने या ओवरफ्लाइट की संभावना को लेकर बात करने के लिए कहा गया होगा. रुबिन का कहना है कि अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को तब तक प्रोत्साहित किया जाता है जब तब वह उसके हितों की पूर्ति करता है, लेकिन जब उसकी कोई जरूरतें नहीं रहती हैं तो उन्हें लौटा देता है.”

माइकल रुबिन ने आगे कहा, “साल 2003 में, जब हमने इराक युद्ध शुरू किया, तो हमने ईरान के साथ ही एक ऐसा ही सौदा किया था कि अमेरिकी विमान ईरानी एयरपोर्ट्स पर लैंड कर सकते हैं.” “इसी तरह अमेरिकी- पाकिस्तानी संबंधों में भी एक पैटर्न है, जहां हम पाकिस्तान को तब बढ़ावा देते हैं, जब हमें उनकी जरूरत होती है, और जैसे ही हमें उनकी जरूरत नहीं होती, हम बढ़ावा देना बंद कर देते हैं. ऐसे में मुझे आश्चर्य नहीं होगा कि ये पैटर्न यहां भी दोहराया गया है.”

अमेरिका को क्यों पड़ी पाकिस्तान की जरूरत?

तो सवाल उठता है कि अमेरिका के लिए ईरान पर हमले के दौरान साल 2003 के पैटर्न पर काम करने की जरुरत क्यों पड़ गई. इसका सीधा जवाब यही है कि पाकिस्तान और ईरान की अंतरराष्ट्रीय सीमा लंबी है और दोनों के बीच करीब 900 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है. ऐसे में अमेरिका के लिए पाकिस्तान में एयरबेस बनाना आसान होगा और जरुरत पड़ने पर पाकिस्तान बॉर्डर से ईरान पर हमला करने में कोई खास दिक्कत भी नहीं आएगी.

फायदा यह होगा कि ईरान से सटे क्षेत्र में एयरबेस होने से अमेरिका को एयर बेस सपोर्ट भी आसानी से मिल जाएगा. इसके अलावा अमेरिकी मिशन को लॉजिस्टिक्स सपोर्ट और ड्रोन ऑपरेशन भी संभव हो सकेगा. साथ इंटेलिजेंस नेटवर्क के मामले में अमेरिका को यहां से मदद मिल सकती है. दावा किया जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका क्वेटा, तुरबत में अपना बेस बना सकता है.

कहा यह भी कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बर्बात करने का मन बना चुके हैं और बतौर मुस्लिम देश होने की वजह से वह पाकिस्तान का समर्थन चाहते हैं.

अमेरिकी हमले का पाकिस्तान ने की निंदा

हालांकि पाकिस्तान ने अमेरिका के ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर हमलों की निंदा की है. पाक की यह प्रतिक्रिया इस्लामाबाद द्वारा नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार बनाए जाने के एक दिन बाद आई है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय (Pakistani Foreign Ministry) के जारी बयान के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा कि वह पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के जोखिम को लेकर “गंभीर रूप से चिंतित” है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के हमले “अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हैं”, साथ ही कहा कि ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) के तहत खुद का बचाव करने का अधिकार है.

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर
ligue-bretagne-triathlon.com
pin-ups.ca
pinups.cl
tributementorship.com
urbanofficearchitecture.com