अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है. आईएमएफ का कहना है कि देश में विकास दर उम्मीद से अधिक धीमी हुई है, जो औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षा से अधिक गिरावट के कारण है. आईएमएफ का यह अनुमान विश्व बैंक के समान है, जिसने भी इस वर्ष के लिए भारत की जीडीपी विकास दर 6.5% रहने का अनुमान लगाया है. अगले वर्ष के लिए विश्व बैंक ने विकास दर 6.7% रहने का अनुमान व्यक्त किया है. भारत वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और नीतिगत अनिश्चितताओं के बावजूद, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का टैग बनाए रखेगा.
आईएमएफ ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट में कहा, “भारत में, 2025 और 2026 में विकास दर 6.5% रहने का अनुमान है, जैसा कि अक्टूबर में अनुमानित था और संभावित विकास के अनुरूप है.” गौरतलब है कि कुछ रेटिंग एजेंसियों ने भारत की विकास दर के अनुमानों को घटाया है, जब राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 6.4% की दर से बढ़ने की उम्मीद है. यह पिछले चार वर्षों में सबसे कम वृद्धि दर है और 2023-24 में दर्ज 8.2% से काफी नीचे है.
आरबीआई पर बढ़ा दबाव
विकास में इस तेज गिरावट ने खपत को बढ़ावा देने के उपाय करने की की आवश्यकता को बढा दिया है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार मुद्रास्फीति के दबावों से मांग प्रभावित हुई है. इससे भारतीय रिजर्व बैंक पर दरों में कटौती कर विकास को प्रोत्साहित करने का दबाव बढ़ा है. वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता के बीच बजट में विकास को तेज करने के उपायों की घोषणा की उम्मीद है.
वैश्विक विकास दर 2025 और 2026 में 3.3% रहने का अनुमान है, जो ऐतिहासिक (2000–19) औसत 3.7% से कम है. आईएमएफ के अनुसार, 2025 के लिए यह पूर्वानुमान अक्टूबर 2024 के WEO आउटलुक के मुकाबले मोटे तौर पर अपरिवर्तित है, मुख्य रूप से अमेरिका में ऊपर की ओर संशोधन अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में नीचे की ओर संशोधन को संतुलित करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक महंगाई 2025 में 4.2 फीसदी और 2026 में 3.5 फीसदी तक घटने का अनुमान है. विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह पहले घट सकती है, जबकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में इसे घटने में अधिक समय लगेगा.