इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन नजदीक आ गई है। आईटीआर फाइलिंग 2024 के लिए आपको अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। मनीकंट्रोल आपको एनपीएस में मिलने वाली टैक्स-छूट के बारे में बता रहा है। रिटायरमेंट बाद रेगुलर इनकम पाने का अच्छा ऑप्शन है। साथ ही इसमें कंट्रिब्यूशन पर टैक्स में काफी छूट मिलती है। पहला, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत इसमें सालाना 1.5 लाख रुपये तक के कंट्रिब्यूशन पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसके अलावा सेक्शन 80सीसीडी(1बी) के तहत 50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन भी मिलता है। आईटीआर फाइलिंग में आपको इस टैक्स छूट का ध्यान रखना होगा।
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एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर टैक्स-बेनेफिट
एंप्लॉयी अपने एंप्लॉयर को NPS (National Pension System) में कंट्रिब्यूट करने के लिए रिक्वेस्ट कर सकता है। इसके लिए उसके कॉस्ट-टू-कंपनी (CTC) में बदलाव करना होगा। इससे एंप्लॉयी सेक्शन 80सीसीडी(2) के तहत बेसिक सैलरी (प्लस डियरनेस अलाउन्स) के 10 फीसदी तक डिडक्शन क्लेम कर सकेगा। अगर आप पहले से इस ऑप्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपके फॉर्म-16 में यह दिखेगा।
नई रीजीम में भी मिलता है यह फायदा
एनपीएस में कंट्रिब्यूशन पर टैक्स-छूट का फायदा इनकम टैक्स की नई रीजीम में भी मिलता है। बेसिक सैलरी (प्लस डियरनेस अलाउन्स) के 10 फीसदी तक के एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। सरकारी एंप्लॉयीज के लिए यह 14 फीसदी है।
सेक्शन 80सीसीडी(1) का लाभ सिर्फ नौकरी करने वालों को
अगर आप नौकरी करते हैं तो सेक्शन 80सीसीडी (1) के तहत बेसिक सैलरी (प्लास डियरनेस अलाउन्स) का 10 फीसदी तक एनपीएस में कंट्रिब्यूट कर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। अगर आप नौकरी नहीं करते हैं तो भी एनबीएस में कंट्रिब्यूट कर सकते हैं। लेकिन, आपका कंट्रिब्यूशन सेक्शन 80सी के तहत होगा। यह सालाना 1.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होगा। इसके अलावा आप सेक्शन 80सीसीडी(1बी) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
कैसे उठाएं 80सीसीडी(1) का लाभ
एनपीएस के सब्सक्राइबर्स ऊपर बताए गए डिडक्शन के बारे में जानते हैं। लेकिन, कॉर्पोरेट टैक्स स्कीम के तहत मिलने वाली टैक्स-छूट का फायदा कम ही एंप्लॉयीज उठाते हैं। सेक्शन 80सीसीडी(2) आपको अपनी टैक्स-लायबिलिटी घटाने में काफी मदद कर सकता है। लेकिन, इसके लिए आपके एंप्लॉयर को भी आपके एनपीएस कार्पस में कंट्रिब्यूट करना होगा। यह बेनेफिट इनकम टैक्स की पुरानी और नई दोनों रीजीम में मिलता है। अगर आप अभी इस टैक्स-छूट का लाभ नहीं उठा रहे हैं और आप एनपीएस सब्सक्राइबर हैं तो आप अपने एंप्लॉयर को इस फैसिलिटी के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपना पर्मानेंट अकाउंट नंबर (PRAN) एंप्लॉयर के साथ शेयर करना होगा।
तीन तरह से एनपीएस पर टैक्स-छूट का लाभ उठा सकते हैं
इस तरह अगर आप नौकरी करते हैं तो तीन तरह से टैक्स-छूट के लिए एनपीएस का फायदा उठा सकते हैं। पहला, सेक्शन 80सी के तहत आप एनपीएस में सालाना 1.5 लाख रुपये तक के कंट्रिब्यूशन पर डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। दूसरा, सेक्शन 80सीसीडी(1बी) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। तीसरा, बेसिक पे (प्लस डीए) के 10 फीसदी तक के एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर सेक्शन 80सीसीडी(2) के तहत टैक्स-छूट लिया जा सकता है। एंप्लॉयर के इस कंट्रिब्यूशन पर टैक्स नहीं लगता है।