Home Loan Tips: होम लोन के मामले में आपकी उम्र का भी काफी बड़ा रोल होता है. आपकी उम्र जितनी ज्यादा होगी, लोन चुकाने के लिए समय कम मिलेगा और ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा. हालांकि घर खरीदना कोई सामान्य बात नहीं होती. तमाम लोग ऐसे हैं जो 40 या इससे ज्यादा की उम्र होने पर घर खरीद पाते हैं. अगर आप भी 40 साल या इससे ज्यादा उम्र के हैं और होम लोन के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं, तो आपको एक बार कुछ टिप्स जरूर समझ लेने चाहिए. ये टिप्स खुद एक बैंक ने ग्राहकोंं को दिए हैं और ये लोन की टेंशन को आपके सिर पर कभी हावी नहीं होने देंगे.
HDFC की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक आमतौर पर बैंकों में अधिकतम 30 साल तक के लिए होम लोन दिया जाता है. लेकिन अगर आपकी उम्र 40 साल या इससे ज्यादा हो गई है तो आपकी रिटायरमेंट की उम्र को ध्यान में रखते हुए बैंक आपको 30 साल की अवधि का ऑफर नहीं देंगे. लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, नौकरी पक्की है, तो आप लोन चुकाने का अवधि रिटायरमेंट के बाद तक बढ़ाने के लिए लेंडर को राजी कर सकते हैं. ऐसे में कोशिश करें कि आपको जितनी अधिकतम अवधि का लोन ले सकते हों, वो ले लें. इससे ईएमआई का बोझ कम रहेगा.
अगर आप और आपका लाइफपार्टनर दोनों कमाते हैं तो आप उनके साथ मिलकर जॉइंट होम लोन का ऑप्शन चुन सकते हैं. इससे लोन के अमाउंट को लेकर पात्रता बढ़ जाएगी. आपकी ईएमआई का बोझ भी कम होगा. पत्नी के को-एप्लीकेंट बनने से ब्याज दर कुछ कम लगेगी और और आप जॉइंट होम लोन पर ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं.
होम लोन का बोझ कम रखने के लिए आप बड़ा डाउन पेमेंट करें. इससे न केवल EMI छोटी हो जाएगी बल्कि ब्याज कम्पोनेन्ट भी कम हो जाएगा. हालांकि, बड़ा डाउन पेमेंट करने के लिए खुद पर जबरदस्ती का बोझ न बढ़ाएं. मेडिकल और दूसरी इमर्जेन्सीज के लिए अलग रखे फंड्स का इस्तेमाल डाउन पेमेंट के लिए न करें.
आपके होम लोन की रीपेमेंट अवधि आपकी रिटायरमेंट के साथ ही खत्म हो जाए, ये आपके लिए बेहतर है. इसके लिए आप बोनस, ग्रेच्युटी या विरासत में मिली किसी पूंजी आदि से एकमुश्त रीपेमेंट कर सकते हैं. अगर आपके पास कहीं से एकमुश्त पैसा आए तो उससे एकमुश्त रीपेमेंट कर सकते हैं. लेकिन रिटायरमेंट कॉर्पस का इस्तेमाल होम लोन का करने से बचें.
आजकल बहुत सारे होम लोन प्रोवाइडर हैं. उनमें से आपके लिए कौन सा बेहतर है, ये चुनने के लिए ठीक से रिसर्च करें. बेहतर लेंडर चुनने के लिए आपको केवल ब्याज दर को ही नहीं देखना चाहिए, बल्कि कई पैरामीटर पर विचार करना चाहिए. आपको लेंडर की रेप्युटेशन और क्रेडिबिलिटी, सही घर चुनने के लिए आपको सलाह देने की लेंडर की क्षमता, रीपेमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी आदि का भी आकलन करना चाहिए. इसके अलावा ऐसा लेंडर चुनें जो फार्मेलिटीज और पेपरवर्क कम से कम कराए.
Author: Geetika Reporter
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