ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री के बयान ने बढ़ाई हलचल
ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एज ने शुक्रवार को डेनमार्क के कोपेनहेगन में एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उनके साथ डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन भी थीं। प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों ने ग्रीनलैंड के पीएम से पूछा कि क्या वे डोनाल्ड ट्रंप के संपर्क में हैं? तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ‘नहीं, लेकिन हम बातचीत के लिए तैयार हैं। मुझे लगता है कि दोनों पक्षों को आपसी बातचीत बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही हमें उन मुद्दों पर भी बात करनी चाहिए, जो हमें साथ लेकर आती है।’ इसके बाद ग्रीनलैंड के पीएम ने अहम बात कही और बोले कि ‘हम डेनिस नहीं बनना चाहते और न ही अमेरिकी। हम बस ग्रीनलैंड के निवासी रहना चाहते हैं और अपने भविष्य का फैसला ग्रीनलैंड के लोग ही करेंगे और सभी को इस बात का सम्मान करना चाहिए।’
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ट्रंप ने ग्रीनलैंड पर अमेरिकी कब्जे की जताई थी इच्छा
गौरतलब है कि ग्रीनलैंड पर 1700 से ही डेनमार्क का नियंत्रण है। हालांकि साल 2009 में एक जनादेश के तहत ग्रीनलैंड ने डेनमार्क के नियंत्रण से आजाद होने का अधिकार हासिल कर लिया है। हालांकि ग्रीनलैंड की डेनमार्क से दूरी काफी है और यह डेनमार्क से मिलने वाली सब्सिडी पर निर्भर है। ग्रीनलैंड की आबादी 57 हजार है और रणनीतिक तौर पर ग्रीनलैंड की भौगोलिक स्थिति बेहद अहम है। बीते दिनों ट्रंप ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा और दुनिया में कहीं भी जाने की आजादी के लिए अमेरिका का ग्रीनलैंड पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। हालांकि ट्रंप के उस बयान पर ग्रीनलैंड के पीएम ने उस वक्त कहा था कि ‘हम बिकाऊ नहीं हैं और हम कभी भी बिकाऊ नहीं होंगे। हमें आजादी के लंबे संघर्ष को नहीं भूलना चाहिए, लेकिन हमें पूरी दुनिया और खासकर अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग और व्यापार के लिए तैयार रहना चाहिए।’
ग्रीनलैंड पर अमेरिकी कब्जा क्यों चाहते हैं ट्रंप
दरअसल उत्तरी अमेरिका से यूरोप जाने के सबसे छोटे रूट पर ग्रीनलैंड स्थित है। अमेरिका काफ़ी लंबे समय से ग्रीनलैंड को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने ग्रीनलैंड के थ्यूली में एक रडार बेस भी स्थापित किया था। ग्रीनलैंड में दुनिया के कई दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार भी मौजूद हैं जो बैटरी और हाई-टेक डिवाइस बनाने में इस्तेमाल होते हैं। ट्रंप का मानना है कि रूसी और चीनी जहाज़ों की निगरानी के लिए भी ग्रीनलैंड अहम है।
