अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी टैरिफ नीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी है. इस बार उन्होंने “डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ” का ऐलान किया है, जिसके तहत अमेरिका में आयात होने वाले लगभग सभी सामानों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैक्स लगेगा. इस नीति का सबसे बड़ा असर चीन पर पड़ा है.
ट्रंप की घोषणा के तुरंत बाद चीन के वित्त मंत्रालय ने अमेरिका से आने वाले सभी सामानों पर 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाने का ऐलान किया. साथ ही चीन ने 11 विदेशी कंपनियों को अपनी “अनविश्वसनीय इकाई सूची” (Unreliable Entity List) में डाल दिया है. यही नहीं, चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स (जैसे डाइसप्रोसियम, स्कैंडियम, टर्बियम आदि) के निर्यात पर भी नियंत्रण लागू कर दिया है.
चीन की जीडीपी पर गंभीर असर
मैक्वेरी बैंक के मुख्य चीन अर्थशास्त्री लैरी हू के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ के कारण चीन के निर्यात में 15 फीसदी तक गिरावट आ सकती है. इसका सीधा असर चीन की जीडीपी पर पड़ेगा, जो कि 2 से 2.5 प्रतिशत तक गिर सकती है. चीन ने 2025 के लिए 5 प्रतिशत की ग्रोथ का लक्ष्य रखा है, लेकिन आर्थिक सुस्ती, रियल एस्टेट सेक्टर की गिरावट और घरेलू मांग में ठहराव पहले से ही चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर बना रहे हैं.
हालांकि, चीन से अमेरिका भेजे गए ऐसे सामान जिनकी शिपिंग 10 अप्रैल से पहले शुरू हुई और 13 मई 2025 तक डिलीवर हो जाएंगे, उन पर अतिरिक्त टैरिफ लागू नहीं होगा. यह जानकारी स्टेट काउंसिल टैरिफ कमीशन ने दी है.
अमेरिका ने भी बंद किया “डि मिनिमिस” का रास्ता
ट्रंप ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए “डि मिनिमिस” नियम को भी खत्म कर दिया है, जिसके तहत कम मूल्य के पैकेट्स (ज्यादातर चीन और हांगकांग से) ड्यूटी-फ्री अमेरिका में प्रवेश करते थे. इससे चीनी ऑनलाइन विक्रेताओं को बड़ा झटका लगा है.
अमेरिका के लिए भी चुनौतियां
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने चीन की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था को और कठिनाइयों में डाल दिया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि यह ट्रेड वॉर और गहराता है, तो इसका असर सिर्फ चीन या अमेरिका पर नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
