अप्रैल में ट्रंप ने फार्मा सेक्टर को छोड़कर दुनिया के 60 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. उस दौरान ट्रंप ने कहा था कि फार्मा सेक्टर पर उस स्तर पर टैरिफ लगाए जाएंगे, जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा होगा. जिसके बाद उन्होंने दुनिया के 90 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था. दरअसल, ट्रंप फार्मास्युटिकल्स प्रोडक्ट्स पर इसलिए टैरिफ लगाना चाहते हैं, अब एक बार फिर उनके बयान ने दुनिया में खलबली मचा दी है. उन्होंने इशारा दिया है कि वो आने वाले दिनों में एक बार फिर टैरिफ बढ़ा सकते हैं.
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अगर उन्होंने टैरिफ में बढ़ोतरी की तो दवाइयां, चिप से लेकर मिनरल्स तक कई चीजें महंगी हो जाएंगी. आइए जानते हैं अगर फिर ट्रंप का कहर बरपा तो क्या क्या महंगा हो जाएगा?
ट्रंप के फैसले का भारत पर असर
ट्रंप के इस फैसले का भारत पर काफी बड़ा असर पड़ने वाला है क्योंकि भारत अमेरिका के लिए दवाइयों के सबसे बड़े सप्लायर्स में से एक है. अगर ट्रंप फार्मास्युटिकल्स प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगा देते हैं, तो इससे भारत के फार्मा सेक्टर को काफी नुकसान पहुंचेगा. 2024 में भारत ने अमेरिका को 12.72 बिलियन अमरीकी डॉलर के फार्मास्युटिकल्स प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए.
ट्रंप प्रशासन ने पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं टैरिफ के ऐलान से दुनियाभर में दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरी जैसी चीज़ों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
क्या है ट्रंप की नई योजना?
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बचाने और चीन जैसे देशों पर दबाव बनाने के लिए आक्रामक टैरिफ नीति जरूरी है. वह 30% तक बेसलाइन टैरिफ की बात कर चुके हैं, जिसे जरूरी उत्पादों के लिए और बढ़ाया जा सकता है. उनके कैंपेन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, फार्मास्युटिकल्स, सेमीकंडक्टर चिप्स और क्रिटिकल मिनरल्स पर फोकस होगा क्योंकि ये सेक्टर अमेरिका की सुरक्षा और भविष्य से सीधे जुड़े हैं.
दुनिया पर असर
इस फैसले का असर सिर्फ चीन पर नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों पर भी पड़ेगा जो अमेरिकी बाजार में फार्मा, टेक्नोलॉजी और मिनरल सप्लाई के बड़े स्रोत हैं.
- फार्मा इंडस्ट्री: भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है. टैरिफ बढ़ने से भारत की फार्मा कंपनियों की लागत और प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा.
- सेमीकंडक्टर चिप्स: दुनिया भर की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इस पर निर्भर है. भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के चिप उद्योग पर इसका प्रभाव पड़ सकता है.
- क्रिटिकल मिनरल्स: लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे खनिज जो बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों में जरूरी हैं उनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं.
ट्रंप का पुराना रिकॉर्ड
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल (20162020) में भी टैरिफ को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया था. खासकर चीन के साथ ट्रेड वॉर ने वैश्विक बाजारों को हिला कर रख दिया था. अब एक बार फिर से ऐसा ही संकट मंडरा रहा है, जिसे ट्रंप के आलोचक “प्रोटेक्शनिज्म 2.0” कह रहे हैं.
नतीजा महंगाई की नई लहर?
- दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी
- मोबाइल, लैपटॉप, कार और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स महंगे
- बैटरी और EV तकनीक के उत्पादों की लागत में उछाल
- वैश्विक सप्लाई चेन में एक बार फिर अस्थिरता
