हम बात कर रहे उत्तरी चीन में स्थित बेयिंग गांव की. जहां ज्यादातर घर जमीन के नीचे बने हुए हैं. ऊपर से देखने पर आपको लगेगा कि पूरा इलाका मैदान है, लेकिन जमीन के नीचे हजारों की संख्या में घर हैं. पारंपरिक रूप से बनाए गए ये घर वर्षों पुराने हैं. आज भी तमाम परिवार धंसे हुए आंगन वाले ये घर बनाने के लिए गड्ढे खोदते हैं. चीन में इन घरों को डिकेंगयुआन (Dikengyuan) के नाम से जाना जाता है. इसका मतलब है गड्ढे वाले आंगन.
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यहां बने सभी घर गुफा की तरह नजर आते हैं. आप इन्हें ‘गुफा आवास’ भी कह सकते हैं. कई घरों को ‘टूरिज्म विलेज’ के रूप में बदल दिया गया है, जिन्हें देखने के लिए भारी तादात में पर्यटक हर साल आते हैं. चीन की सरकार ने 2011 में इन्हें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में सूचीबद्ध किया है.
ऐतिहासिक साक्ष्यों के मुताबिक, उत्तरी चीन के लोएस पठार में बनाए गए ये आवास लगभग 7,000 साल पहले अस्तित्व में आए थे. इसके पीछे मकसद उस वक्त के प्राकृतिक हालात से निपटना था. क्योंकि खूब गर्मी और खूब सर्दी पड़ती थी. ऐसे में ये घर एसी की तरह होते थे, जो काफी ठंडक प्रदान करते थे. इतना ही नहीं, सर्दियों के दिनों में ये लोगों को गर्म रखने के भी काम आते थे.
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एक और वजह है, लोएस पठार की पीली मिट्टी काफी नरम होती थी. इसलिए इसे खोदना आसान होता है. हालांकि, यह इतनी मजबूत होती है कि बिना किसी सहारे के टिकी रह सकती है. कठोर और लंबी सर्दियां और अत्यधिक जलती हुई गर्मी में यह बेहद काम की चीज है. सबसे खास बात, धंसे हुए आंगन वाले इन घरों को बनाने के लिए ईंट या टाइल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता. आंगन का आकार अलग-अलग होता है. यह 39 फीट तक लंबा हो सकता है. इसकी गहराई 20 से 33 फीट तक होती है. कमरों को पत्थरों और मिट्टी की दीवारों या स्तंभों से मजबूत बनाया जाता है. ज़मीन के ऊपर कोई और इमारत नहीं बनाई जाती.
पर्यटकों की भारी तादात को देखते हुए कुछ डेवलपर्स ने आधुनिक होटल भी बनाए हैं. आधुनिक घरों को कंक्रीट से मजबूत किया गया है. सौर पैनल भी लगाए गए हैं. चीन में सिर्फ यही गुफा आवास नहीं हैं. चीन के शानक्सी प्रांत में यानान के गुफा आवास तो सदियों पुराने हैं. इनमें माओत्से तुंग और उनके राजनीतिक सहयोगियों के रहने के लिए घर बनाए गए थे.