जयपुर. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश-हरियाणा की तरह राजस्थान में भी बड़ा झटका लगा है. राज्य की 25 में से सिर्फ 14 लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली है जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ 11 सीट पर कब्जा जमाने में सफल रहा. कांग्रेस के खाते में आठ सीट आई हैं. कांग्रेस ने राज्य में दस साल में पहली बार खाता खोला है. बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में राज्य की सभी 25 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 में एनडीए ने सभी सीटें (24 बीजेपी और एक आरएलपी) जीतीं थीं. इस बार बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर चुनाव लड़ा. सचिन पायलट कांग्रेस की जीत के ‘हीरो’ के रूप में उभरे हैं.
कांग्रेस को जिन आठ सीटों पर जीत मिली है, उनमें पांच उम्मीदवार सचिन पायलट समर्थक बताए जाते हैं. सचिन ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी थी. सचिन पायलट के सबसे ज्यादा प्रभाव वाली दौसा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मुरारीलाल मीणा 237340 वोटों से चुनाव जीते हैं. जीत का यह मार्जिन सभी जीते कांग्रेस प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा, टोंक-सवाईमाधोपुर, श्रीगंगानगर, झुंझुनू , धौलपुर-करौली, भरतपुर सीट पर सचिन पायलट के समर्थकों ने परचम फहराकर कांग्रेस की राज्य में वापसी कराई. पायलट की मेहनत रंग रंग लाई है. कांग्रेस को पूर्वी राजस्थान में ही ज्यादातर सफलता मिली है. इसी क्षेत्र में सचिन पायलट का सबसे ज्यादा प्रभाव है.
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गहलोत पर भारी पड़े सचिन पायलट
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में गहलोत का जादू फीका ही रहा. जालोर लोकसभा सीट अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत चुनाव हार गए. लुंबाराम चौधरी ने वैभव गहलोत को करारी शिकस्त दी. गहलोत ने भी अपने बेटे के लिए प्रचार किया था लेकिन वह जीत वैभव को जीत नहीं दिला सके. उधर, सचिन पायलट पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस को 8 सीटें दिलाने में कामयाब रहे.
बीजेपी ने भरतपुर सीट कांग्रेस के हाथों गंवा दी
भरतपुर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृहनगर है. भरतपुर से संजना जाटव ने जीत का परचम लहराया है. कांग्रेस की भरतपुर सीट से जीत निश्चित रूप से बीजेपी के लिए बड़ा झटका है और पायलट की मेहनत का इनाम है. कांग्रेस के विजयी उम्मीदवारों में गंगानगर से कुलदीप इंदौरा, चुरू से राहुल कस्वां, झुंझुनू से बृजेंद्र ओला, करौली-धौलपुर से भजनलाल जाटव, दौसा से मुरारी लाल मीणा, टोंक सवाई माधोपुर से हरीश मीणा, बाड़मेर से उम्मेदाराम बेनीवाल शामिल हैं.