जयपुर। प्रदेश के कई जिलों में मम्पस वायरस तेजी से फैल रहा है। जिसे लेकर चिकित्सा विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। एसीएस शुभ्रा सिंह ने मम्पस वायरस को लेकर बैठक ली है। जिसमें उन्होंने कहा कि मम्पस (कनफेड) रोग से बचाने एवं इस रोग पर नियंत्रण के लिए राजकीय एवं निजी विद्यालयों में बच्चों को आवश्यक जानकारी दी जाए। रोग से बचाव एवं नियंत्रण के लिए विद्यालयों में दिशा-निर्देश प्रसारित किए जाने के लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह एक वायरल संक्रामक रोग है, जो अधिकांशतः बच्चों में होता है। इसे देखते हुए स्कूलों में बच्चों को इस रोग से बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
स्कूलों में बच्चों को दी जाए जानकारी..
कनफेड रोग के प्रसार, लक्षण, बचाव एवं उपचार के संबंध में बच्चों को प्रार्थना सभा के दौरान जानकारी दी जाए। अगर कोई बच्चा इस रोग से ग्रसित हो तो इसकी सूचना नजदीकी राजकीय चिकित्सा संस्था को दी जाए। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्यों व सीएमएचओ को मम्पस रोग के मामलों की नियमित रिपोर्टिंग किए जाने के निर्देश दिए है।
इन जिलों में ज्यादा आ रहे केस..
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि जोधपुर, कोटा, बांसवाड़ा, बारां, हनुमानगढ़, उदयपुर, बाड़मेर, नागौर आदि जिलों में मम्पस के केस अधिक सामने आए हैं। इन जिलों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। साथ ही, मेडिकल कॉलेज इस रोग के प्रसार पर रोकथाम के लिए अलर्ट मोड पर काम करते हुए जरूरी कदम उठा रहे है।
मम्प्स वायरस कितना खतरनाक..
मम्प्स एक वायरल इंफेक्शन है, जो सलाइवरी ग्लैंड को प्रभावित कर रहा है। इस वायरस की वजह से चेहरे के दोनों तरफ की ग्रंथियां सूज जाती हैं। इसे गलसुआ भी कहते हैं। आमतौर पर ये बीमारी बच्चों को होती है लेकिन अब बड़े भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। छींक के अलावा नाक और गले से निकलने वाले संक्रामक ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से मम्प्स वायरस तेजी से फैल रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, मम्प्स के लक्षण संक्रमित होने के बाद कम से कम 1-2 हफ्ते के भीतर दिखाई देते हैं। इसके लक्षण बिल्कुल फ्लू जैसे ही हैं।