एक युवक-युवती ने खुद को रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) का एजेंट बताकर कमल विहार में सस्ते में मकान-प्लाॅट दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपए ठग लिया। इसके भाग निकले। पीडि़तों को जब मकान-प्लाॅट नहीं मिला, तो इसकी शिकायत टिकरापारा थाने में की। पुलिस ने युवक-युवती और उसके साथी के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पुलिस के मुताबिक लालपुर छपोरा निवासी अभय कुमार यादव और उसकी महिला पार्टनर चेतना यादव ने पटेल चौक लालपुर में अभय रियल एस्टेट्स कंस्ट्रक्शन के नाम से ऑफिस खोला था। इस दौरान ऑफिस में आने वालों को दोनों कमल विहार के सेक्टर-1 में सस्ते में प्लॉट या मकान दिलाने का आश्वासन देते थे। खुद को आरडीए का एजेंट बताते और वहां के अधिकारियों-कर्मचारियों से अच्छी पहचान होने का दावा करते थे।
पचपेड़ी नाका निवासी सरिता करकाडे उनके झांसे में आ गई। इसके बाद मार्च 2024 में अभय और चेतना ने उनसे प्लाॅट दिलाने के एवज में एडवांस के रूप में 2 लाख 30 हजार रुपए ले लिए। लेकिन उन्हें प्लॉट नहीं दिलाया। इसकी शिकायत उन्होंने टिकरापारा थाने में की। पुलिस अभय कुमार यादव और चेतना के अलावा उसके भाई निहाल यादव के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर लिया है।
32 लोगों से लाखों लिए
आरोपियों ने दो साल पहले प्राॅपर्टी डीलर के नाम पर ऑफिस खोला था। इसके बाद से कई लोगों को झांसा दिया। आरोपियों ने सरिता के अलावा सरिता गोंड, राधेश्याम सेन, संतोषी सेन, मीना यादव, सोनिया पाल, इमलचंद साहू आदि सहित 32 लोगों से कुल 90 लाख 97 हजार रुपए लिया है। किसी को प्लाॅट देने के नाम पर, तो किसी को मकान दिलाने के नाम पर रकम लिया गया।
20 दिन से ऑफिस बंद
अभय, चेतना और निहाल ने करीब 20 दिन पहले अपना ऑफिस बंद कर दिया। इसके बाद फरार हो गए। प्लाॅट-मकान लेने वाले उसके ऑफिस पहुंचे, तो ताला लगा मिला। पीडि़तों ने कॉल किया, तो सभी के मोबाइल नंबर बंद मिले। इसके बाद पीडि़त टिकरापारा थाने पहुंचे। पूरे मामले की शिकायत की। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 318-4, 3-5 के तहत अपराध दर्ज कर किया गया है।
इसलिए फंस गए पीडि़त
आरोपियों ने कमल विहार जैसे महंगे इलाके में सस्ते में मकान और प्लाॅट दिलाने का सब्जबाग दिखाया। कुछ एजेंट भी दोनों ने लगा रखे थे, जो अलग-अलग इलाके से लोगों को लेकर आते थे और किसी को 3 लाख में मकान, तो किसी को 5 लाख में प्लाॅट दिलाने का झांसा देते थे। इस कारण लोग आसानी से उनके झांसे में आ गए। फिलहाल तीनों आरोपियों का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है। अभय और चेतना ने अधिकांश राशि ऑनलाइन ही लिया है। अपने फोन पे के जरिए।