Budget 2025 Date And Time: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार, 1 फरवरी को अपना लगातार आठवां बजट 2025 पेश करेंगी। यह केंद्रीय बजट अपने लगातार तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एनडीए की सरकार का दूसरा पूर्ण वित्तीय बजट होगा। बता दें कि पिछले चार केंद्रीय बजटों और एक अंतरिम बजट की तरह पूर्ण केंद्रीय बजट 2025-26 भी पेपरलेस होगा। आइए जानते हैं डिटेल में.
बजट 2025: डेट और टाइम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को संसद में केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। लोकसभा में सुबह 11 बजे उनका भाषण शुरू होगा। बता दें कि यह उनका आठवां बजट भाषण होगा।
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केंद्रीय बजट का प्रसारण संसद के आधिकारिक चैनलों, दूरदर्शन और संसद टीवी पर किया जाएगा।
इसे सरकार के आधिकारिक यूट्यूब चैनलों पर भी स्ट्रीम किया जाएगा।
बजट 2025 के बारे में सभी नए अपडेट बजट लाइव ब्लॉग पर ट्रैक किए जा सकते हैं।
बजट 2025 के दस्तावेज कहां से प्राप्त करें?
इस बार भी बजट पूरी तरह पेपरलेस रहेगा। आप “Union Budget Mobile App” के जरिए इसे पढ़ सकते हैं। यह ऐप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।
बजट 2025 से पहले हलवा समारोह का महत्व
हलवा समारोह, 1980 के दशक से भारतीय बजट बनाने की प्रक्रिया में एक परंपरा है, जो केंद्रीय बजट की तैयारी के फाइनल फेज को दर्शाता है।
2025 के लिए बजट बनाने की प्रक्रिया कब शुरू हुई?
वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर 2024 में बजट तैयार करना शुरू किया, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय अनुमानों और जरूरतों को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा की। 2014 में सत्ता संभालने के बाद से, नरेंद्र मोदी सरकार ने कई पारंपरिक बजटीय सुविधाओं को समाप्त कर दिया है। इनमें रेल बजट को 2017 के मुख्य बजट से जोड़ना, बजट पेश करने की तारीख महीने के अंत से बढ़ाकर एक फरवरी करना और 2021 से डिजिटल प्रारूप में बदलना शामिल है।
बजट से उम्मीदें
जैसे-जैसे बजट का समय नजदीक आ रहा है, सैलरी वाले लोगों को इनकम टैक्स में राहत की उम्मीदें बढ़ रही हैं। Taxspanner के को-फाउंडर और सीईओ सुधीर कौशिक का कहना है, ‘सालाना बजट में किए गए टैक्स बदलाव लंबी अवधि की वित्तीय योजनाओं को बाधित कर सकते हैं। नए टैक्स रेजीम को बचत नहीं करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन बचत करने वालों को भी अपनी मौजूदा योजनाएं बनाए रखने का मौका मिलना चाहिए। टैक्सपेयर्स और उनके एडवाइज़र को अपने हिसाब से टैक्स प्लान चुनने की छूट होनी चाहिए।’
