दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन की नियुक्ति का मामले में उपराज्यपाल (LG) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है और आम आदमी पार्टी सरकरा को झटका लगा है. जस्टिस पामिदीघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार ने अपने निर्णय में कहा कि उपराज्यपाल एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं. फैसले में कहा गया है कि एलजी दिल्ली कैबिनेट की सलाह के बिना भी एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं.
इस फैसले का मतलब है कि एलजी अब एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित करने के लिए स्वतंत्र हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी को इस बाबत निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार काम करने की आवश्यकता नहीं है. यानी दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नही मिली. एलजी की ओर से 10 पार्षद मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
एलजी और सरकार का तर्क
दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है. ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए क्योंकि एलजी की ओर से 10 पार्षद मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
LG की तरफ से तर्क दिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 239 AA के तहत एलजी की शक्तियों और राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासक के रूप में उनकी भूमिका के बीच अंतर है. उन्होंने दावा किया कि कानून के आधार पर एल्डरमैन के नामांकन में LG की सक्रिय भूमिका है.
दिल्ली एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य (एल्डरमैन) हैं. दिसंबर 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को हराया था. पार्टी ने 134 वार्डों में जीत दर्ज की थी और बीजेपी को 104 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस इस चुनाव में 9 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर दिल्ली में 22 फरवरी, 2023 को मेयर और उप मेयर का चुनाव हुआ था. तब कोर्ट ने साफ किया था कि ये एल्डरमैन सदन में मतदान नहीं कर सकेंगे. दरअसल याचिका का आधार दिल्ली नगर निगम के अधिनियम को बनाया गया, जिसमें उल्लेख है कि 25 साल से अधिक उम्र वाले उन लोगों को एल्डरमैन रखा जाना चाहिए, जिन्हें निगम का विशेष ज्ञान या अनुभव हो.
दिल्ली सरकार और एलजी की दलील
बीती सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि क्या एमसीडी में एक्सपर्ट लोगों का नामांकन केंद्र के लिए इतनी चिंता की बात है? अगर एलजी को एल्डरमैन नामित करने का अधिकार दिया जाता है तो इससे एक चुने हुए नागरिक निकाय को प्रभावित किया जा सकता है क्योंकि, मतदान का अधिकर एल्डरमैन के पास भी होगा.
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि दिल्ली सरकार को एमसीडी में लोगों को नामित करने के लिए कोई अलग से अधिकार नहीं दिए गए हैं और पिछले 30 सालों से एलजी द्वारा प्रदेश सरकार की सहायता और सलाह पर एल्डरमैन को नामित करने की प्रथा का पालन किया जा रहा है.
इसके उलट एलजी के वकील का कहना था कि कोई व्यवस्था 30 साल से चली आ रही है, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि वो व्यवस्था ठीक है. अब यह कल ही पता चलेगा कि आखिर एलजी को एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार दिया जाता है या नहीं.
इसलिए कोर्ट पहुंचा था केस
एलजी ने जिन 10 लोगों को एमसीडी में नामित किया है, वे बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं. इनके जोन चुनाव में वोट करने से दिल्ली एमसीडी के जोनल चुनाव में आम आदमी पार्टी आंकड़े में सेंट्रल, सिविल लाइन और नरेला जोन में कमजोर पड़ रही है. इसके उलट बीजेपी मजबूत. लिहाजा कोर्ट का फैसला जोनल चुनाव यानी वार्ड समिति और जोन चेयरमैन के चुनाव में बहुत बड़ा रोल रखेगा.