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June 22, 2025 5:58 pm

बहाउल्लाह का जीवन: दिव्य प्रेरणा

Shrine of Bahaullah
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बहाउल्लाह (Bahá’u’lláh) का जीवन एक अत्यंत प्रेरणादायक और ऐतिहासिक यात्रा रही है, जिसमें उन्होंने ईश्वर के संदेश को मानवता तक पहुँचाया। उनके जीवन की कुछ विशेष और अपेक्षाकृत “अनसुनी” बातें निम्नलिखित हैं:

1. उनका असली नाम और वंश

बहाउल्लाह का असली नाम मिर्ज़ा हुसैन अली था। वे ईरान के एक प्रभावशाली और कुलीन परिवार से थे। उनके पिता मिर्ज़ा अब्बास (मिर्ज़ा बुज़ुर्ग) फ़ारसी दरबार में एक मंत्री थे। बहाउल्लाह आसानी से एक शाही जीवन चुन सकते थे, लेकिन उन्होंने उसे त्याग कर एक आध्यात्मिक जीवन अपनाया।

 2. उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा नहीं ली

बहाउल्लाह ने कोई औपचारिक विद्यालय या मदरसा नहीं देखा, लेकिन वे इतने विद्वान और ज्ञान से परिपूर्ण थे कि विद्वान और धर्मगुरु तक उनसे प्रभावित होते थे। उनकी रचनाओं में अद्भुत साहित्यिक और आध्यात्मिक गहराई है।

 3. सियाह चाल  की कैद

1852 में बहाउल्लाह को तेहरान के एक भयानक कालकोठरी सियाह चाल में बंद कर दिया गया। वहाँ अंधेरा, गंदगी, और ज़ंजीरों में जकड़ी हुई हालत में उन्होंने ईश्वर से आंतरिक अनुभव पाया — और वहीं उन्होंने अपनी दिव्य मिशन का साक्षात्कार किया।

4. उनका जीवन एक सतत निर्वासन रहा

बहाउल्लाह का अधिकांश जीवन ईरान, इराक, तुर्की और अंततः अक़्का (अब इज़राइल में) में निर्वासन और कैद में बीता। उन्होंने 40 वर्षों तक कैद और निर्वासन में रहते हुए मानवता के लिए शिक्षाएँ दीं।
 5. बहाउल्लाह ने सुल्तानों और सम्राटों को पत्र लिखे
बहाउल्लाह ने अपने जीवनकाल में समय के विश्व नेताओं — जैसे नेपोलियन III, सुल्तान अब्दुल अज़ीज़, रानी विक्टोरिया, कैसर विल्हेल्म, और पोप पायस IX — को पत्र लिखे, जिनमें उन्होंने न्याय, शांति और ईश्वर की ओर लौटने का आह्वान किया।
 6. उनकी प्रमुख कृति: “किताब-ए-अक़्दस”

यह ग्रंथ बहाई धर्म का प्रमुख विधान ग्रंथ है। इसमें नैतिक आचरण, सामाजिक सिद्धांत, और आध्यात्मिक मार्गदर्शन शामिल है। इसे उन्होंने अक़्का की कैद में लिखा।

 7. अक़्का की जेल से एक वैश्विक धर्म की शुरुआत

बहाउल्लाह की शिक्षाओं ने एक ऐसे धर्म की नींव रखी जो आज विश्व के लगभग हर देश में फैला है — बहाई धर्म। उनका जीवन प्रमाण है कि सत्य की शक्ति किसी भी कैद को लांघ सकती है।

बहाउल्लाह का निधन 1892 में हुआ और उनकी समाधि बाजीह (Bahjí) में स्थित है, जो इज़राइल में बहाई धर्म का सबसे पवित्र स्थल है। बहाई विश्व समुदाय उसी स्थान की ओर मुँह करके प्रार्थना करता है।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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