जेनेवा—7 मई 2025 — पिछले 28 अप्रैल को दोहा में एक प्रतिष्ठित एवं वरिष्ठ बहाई एवं क़तर के गणमान्य नागरिक श्री रेमी रौहानी की हालिया गिरफ़्तारी और नजरबंदी से बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय चिंतित है।
श्री रौहानी को आंतरिक अपराध अनुसंधान मंत्रालय के विभाग में पूछताछ के लिए बुलाया गया था और उसके बाद उन्हें बिना कोई कारण बताए या अपने वकील से मिलने की इजाजत दिए बिना हिरासत में ले लिया गया। तब से उनकी हिरासत की अवधि कई बार बढ़ाई गई। सबसे हाल में, हिरासत की यह विस्तारित अवधि एक महीने की थी।
बाद में श्री रौहानी ने अपने वकील को सूचित किया कि उप-अभियोजक ने फोन पर उन्हें तीन आरोपों के बारे में बताया जिनमें से दो आरोप थे “एक दिग्भ्रमित संप्रदाय की विचारधारा को बढ़ावा देना” और “जनता की विचारधारा को भड़काना”। (श्री रौहानी को तीसरा आरोप याद नहीं है और अधिकारी उन्हें दोबारा वह आरोप नहीं बताएंगे)। शिकायत ‘धर्मस्व और इस्लामी मामलों के मंत्रालय’ द्वारा पेश की गई थी।
अधिकारियों ने श्री रौहानी से कहा कि ये आरोप क़तर के बहाई समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक X सोशल मीडिया एकाउंट से सम्बंधित हैं। यह एकाउंट 5 साल पहले बनाया गया था और इसमें क़तर में होने वाले अवकाशों के उत्सव मनाने और ईमानदारी तथा दूसरों की सेवा जैसे मूल्यों को बढ़ावा देने वाले पोस्ट साझा किए जाते हैं।
जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिनिधि डॉ. सबा हद्दाद ने बताया कि “रेमी रौहानी के खिलाफ लगाए गए आरोपों में न केवल उन्हें निजी तौर पर निशाना बनाया गया है, बल्कि क़तर के बहाई समुदाय पर भी गलत कामों में लिप्त होने का झूठा आरोप लगाया गया है।” उन्होंने आगे कहा कि “श्री रौहानी को निशाना बना कर पूरे बहाई समुदाय को डराने-धमकाने का तरीका अख़्तियार किया गया है – और वो भी सिर्फ उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण। बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बात से भी चिंतित है कि ये आरोप सीधे तौर पर ईरान के इस्लामी गणराज्य द्वारा वहां के बहाईयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की झलक दिखाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि ईरान की सरकार अब अपनी सरहद से भी बाहर जाकर बहाईयों के उत्पीड़न का निर्यात करने में जुट गई है।“
अधिकारियों ने श्री रौहानी के वकील को आरोपों का औपचारिक विवरण नहीं दिया है, और उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया है। हाल की यह घटना श्री रौहानी को पिछले साल के अंत में अकारण जेल में रखे जाने के ठीक तीन महीने बाद घटित हुई है – एक ऐसी घटना जिसने क़तर के बहाई समुदाय के खिलाफ राज्य-प्रायोजित भेदभाव के लगातार जारी तरीकों में गंभीर वृद्धि को उजागर किया। श्री रौहानी को लगातार निशाना बनाया जाना, और उनके खिलाफ लगाए गए निराधार आरोपों की यह घटना निर्दोष तथा कानून का पालन करने वाले नागरिकों और निवासियों के खिलाफ दशकों से चले आ रहे सुनियोजित भेदभाव, अस्वीकार, निर्वासन, परिवार से अलग-थलग करने और भविष्य-निर्माण के अवसरों का दमन करने का नवीनतम उदाहरण है—और यह सब कुछ केवल उनके धर्म के कारण!
क़तर की सरकार ने बहाई समुदाय द्वारा बार–बार की गई अपीलों को नजरअंदाज किया है और इस बात का कोई संकेत नहीं दिया है कि वे स्थिति में सुधार लाने की योजना बना रहे हैं। अतः, बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को क़तर के बहाई समुदाय की गंभीर स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बयान जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ा है।
बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चिंता है कि इन बयानों के जवाब में क़तर के अधिकारी श्री रोहानी को निशाना बना रहे हैं।
बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय क़तर के अधिकारियों से तत्काल आग्रह करता है कि:
1. श्री रेमी रौहानी को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाए और उनका रिकॉर्ड दुरुस्त किया जाए।
2. क़तर में बहाईयों के साथ सम्पर्क के उद्देश्य से एक उपयुक्त एवं आधिकारिक सरकारी प्रतिनिधि को नियुक्त किया जाए।
3. क़तर में बहाईयों के खिलाफ हर प्रकार का भेदभाव समाप्त किया जाए तथा गारंटी दी जाए कि बहाईयों को अब मनमाने ढंग से ‘काली सूची’ में नहीं डाला जाएगा, अनुचित तरीके से निष्कासित नहीं किया जाएगा, या उन्हें सुनियोजित बहिष्कार का पात्र नहीं बनाया जाएगा।
बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने क़तर से यह भी आग्रह किया है कि वह मानवाधिकारों और सामाजिक सौहार्द के उन सिद्धान्तों का न केवल शब्दों में बल्कि व्यावहारिक रूप से भी पालन करने की प्रतिबद्धता जाहिर करे जिन्हें अपनाने का उसने सार्वजनिक रूप से वचन दिया है।
पृष्ठभूमि
23 दिसंबर 2024 को, क़तर के एक प्रमुख नागरिक, इंटरनेशनल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के MENA क्षेत्रीय कार्यालय के पूर्व निदेशक और क़तर की बहाई आध्यात्मिक सभा के अध्यक्ष, श्री रेमी रौहानी, को एक अल्पकालिक अवकाश के लिए यात्रा करने का प्रयास करते समय दोहा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया था।
अधिकारियों से यह मौखिक आश्वासन मिलने के बावजूद कि वे यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं, श्री रौहानी को गिरफ़्तार कर लिया गया और उन्हें हिरासत में ऐसी परिस्थितियों में रखा गया जो स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित नहीं थीं।
श्री रौहानी के खिलाफ निराधार मामला
श्री रौहानी का मामला क़तर में बहाई समुदाय के खिलाफ दशकों से चले आ रहे सुनियोजित भेदभाव को उजागर करता है। क़तर के अधिकारियों की पूरी जानकारी में, बहाई समुदाय से प्राप्त स्वैच्छिक आर्थिक दान की देखरेख करने के बावजूद, श्री रोहानी पर 2021 में बिना अनुमति के धन एकत्रित करने का आरोप लगाया गया। क़तर के कानून के अनुसार, उस समय उनके ये कार्य गैर-कानूनी नहीं थे और आरोपों के लिए कोई सबूत भी नहीं दिए गए। आरंभ में उन्हें छः महीने की कैद और 27,000 डॉलर के जुर्माने की सजा सुनाई गई। 2022 में अपील किए जाने पर, बाद में उनकी सजा घटाकर एक महीने की जेल और 13,700 डॉलर के जुर्माने में बदल दी गई।
एक तीसरे पक्ष के माध्यम से मौखिक आश्वासन मिलने के बाद कि सजा लागू नहीं की जाएगी, 2024 के अंत में, श्री रौहानी को पता चला कि उनका मामला फिर से खोल दिया गया है और प्रमुख सरकारी सेवाओं तक उनकी पहुंच पर रोक लगा दी गई है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने उन्हें यात्रा करने की अनुमति दी थी, लेकिन 23 दिसंबर 2024 को इसके बावजूद उन्हें हिरासत में लिया गया और एक महीने की जेल की सजा के लिए बाध्य किया गया। उन्हें यह भी बताया गया कि उनकी रिहाई के बाद भी तीन सालों तक उन पर नजर रखी जाएगी।
श्री रौहानी के खिलाफ फर्जी मामला बनाया गया और सजा दी गई, और उन्हें जेल की सजा दिया जाना एक मनमाना, प्रतिशोधात्मक और अशोभनीय कार्रवाई था। श्री रौहानी के खिलाफ केवल उनके धार्मिक विश्वासों और सामुदायिक जिम्मेदारियां निभाने के कारण षडयंत्र किया गया।
बहाई समुदाय में श्री रोहानी की धार्मिक भूमिका
पिछले आठ साल से भी लंबे समय से, श्री रौहानी क़तर के बहाई समुदाय की निर्वाचित प्रशासनिक संस्था–क़तर के बहाईयों की आध्यात्मिक सभा—के अध्यक्ष के रूप में काम करते आ रहे हैं। उनकी भूमिका सिर्फ एक देखरेख करने वाले की है और वे केवल उस बहाई धार्मिक समुदाय की आध्यात्मिक और प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करते हैं जो क़तर में पिछले 80 सालों से भी ज्यादा समय से अस्तित्व में है। उनकी हिरासत क़तर में बहाई समुदाय के सदस्यों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव के व्यापक तौर-तरीके का प्रतीक है।
क़तर में बहाई समुदाय के खिलाफ सरकारी भेदभाव
आठ दशकों से भी अधिक समय से क़तर में बहाई समुदाय की मौजूदगी के कारण, इसने किसी भी गलतफ़हमी और भेदभाव जैसी सुनियोजित चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकारी अधिकारियों से सम्पर्क करने की पूरी कोशिश की है, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। बहाई समुदाय द्वारा झेले जा रहे निर्मम और संकेंद्रित भेदभाव पर बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने एक लंबे समय से प्रकाश डाला है। क़तर में बहाई लोगों को औपचारिक मान्यता नहीं दी जाती है, जिसके कारण निवास परमिट की समाप्ति, अच्छे आचरण के प्रमाण पत्र से इन्कार, आवासीय दर्ज़ा देने से अचानक अस्वीकार और परिवार के साथ पुनर्मिलन पर अन्यायपूर्ण प्रतिबंध सहित अनेक महत्वपूर्ण कठिनाइयां सामने आती रही हैं। इन उपायों के कारण क़तर से बहाई समुदाय के पूरी तरह से खत्म हो जाने का खतरा मंडराने लगा है।
