जेनेवा—बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों का आह्वान किया है कि जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के आगामी विश्वव्यापी आवधिक समीक्षा (UPR) सत्र के दौरान बहाई समुदाय के अधिकारों के लगातार जारी सुनियोजित हनन के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान को जवाबदेह ठहराया जाए। 24 जनवरी को निर्धारित यह सत्र ईरान की चौथी यूपीआर समीक्षा होगी जिसमें उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड की बारीकी से जांच की जाएगी।
मानवाधिकार परिषद के तहत यूपीआर प्रक्रिया एक सहकर्मी समीक्षा तंत्र है जिसमें सदस्य देशों को एक दूसरे की मानवाधिकार सम्बंधी कार्यप्रथाओं का मूल्यांकन और अनुशंसाएं करने का अवसर प्राप्त होता है। ईरान ने 2019 में की गई पिछली समीक्षा की कई अनुशंसाओं को स्वीकार किया था लेकिन इसके बावजूद अभी तक ईरान ने देश के सबसे बड़े गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक, बहाई समुदाय, के उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाया है। इसके विपरीत, बहाई लोगों को निशाना बनाते हुए, मानव अधिकारों का उल्लंघन और तेज हो गया है जो कि अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के प्रति ईरान की घोर उपेक्षा को रेखांकित करता है।
संयुक्त राष्ट्र में बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिनिधि सिमिन फ़हांदेज ने कहा कि “हम संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से मानवाधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेने और आगामी यूपीआर प्रक्रिया के दौरान बहाईयों के साथ ईरान के व्यवहार की भर्त्सना करने का आह्वान करते हैं।“ उन्होंने आगे कहा कि “मानवाधिकारों और आस्था की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को कायम रखना प्रत्येक सदस्य देश की नैतिक जिम्मेदारी है। यह ईरान द्वारा लगाए गए धार्मिक भेदभाव के खिलाफ मजबूती से खड़े होने और देश में बहाईयों के अधिकारों का समर्थन करने का एक महत्वपूर्ण क्षण है, ताकि यह दिखाया जा सके कि ईरान द्वारा केवल धार्मिक विश्वासों के कारण एक पूरे समुदाय का गला घोंटने पर दुनिया चुप नहीं बैठेगी।“
सुश्री फ़हांदेज ने कहा, “ईरान में बहाइयों का उत्पीड़न न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इस्लामी गणराज्य की अंतरात्मा पर एक दाग भी है। जवाबदेही के लिए बार–बार आह्वान किए जाने के बावजूद, ईरान इस शांतिपूर्ण समुदाय पर अपना दमन तेज करता जा रहा है। हम संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आग्रह करते हैं कि वे यूपीआर के मंच का इस्तेमाल ठोस बदलाव की मांग के लिए करें।“
धर्म या आस्था की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के पूर्व विशेष प्रतिवेदक ने बहाईयों के उत्पीड़न को “आज की दुनिया में धार्मिक उत्पीड़न की सबसे चरम अभिव्यक्तियों में से एक” बताया और कहा कि यह उत्पीड़न “जन्म से लेकर मृत्यु तक” व्याप्त है। ह्यूमन राइट्स वॉच की नई रिपोर्ट में इसे “मानवता के खिलाफ उत्पीड़न के अपराध” के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। ईरान में बहाईयों पर पिछले 45 से भी अधिक वर्षों से सुनियोजित रूप से जुल्म ढाए जा रहे हैं। उन्हें विश्वविद्यालयों में शिक्षा और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में नौकरी पाने से प्रतिबंधित किया जाता है, उन्हें नियमित रूप से मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जाता है और जेल में डाला जाता है, उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली जाती है, उनकी श्मशान भूमियों को नष्ट किया जाता है और उन्हें हर रोज मानवाधिकारों के उल्लंघनों के अन्य मामलों का सामना करना पड़ता है।
ईरान में बहाईयों का उत्पीड़न: एक गहराता हुआ संकट
ईरान में बहाई समुदाय को व्यापक स्तर पर भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें मनमाने ढंग से गिरफ़्तारियां, सम्पत्ति ज़ब्त करना, उच्च शिक्षा और रोज़गार तक पहुंच से वंचित करना और राज्य द्वारा प्रायोजित नफ़रती प्रचार शामिल है। सुनियोजित दमन का यह सिलसिला 1979 की इस्लामी क्रांति के साथ शुरू हुआ और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली ख़ामिनेई द्वारा समर्थित इस्लामी सर्वोच्च क्रांतिकारी सांस्कृतिक परिषद के 1991 के ज्ञापन द्वारा — जिसमें बहाईयों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण नीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई — इसे और अधिक मज़बूत और संहिताबद्ध किया गया।
ईरान के बहाई समुदाय के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन
प्रमुख मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने ईरान में बहाईयों के उत्पीड़न की व्यापक निंदा की है। ऐसे प्रमाण सामने आए हैं जो सुनियोजित शोषण के तंग करने वाले अभियान की ओर संकेत करते हैं। ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक ने इसका वर्णन “नरसंहार के इरादे” से प्रेरित होने के रूप में किया है। संयुक्त राष्ट्र के तथ्यखोजी मिशन की एक हालिया रिपोर्ट में 2022 के विद्रोह के बाद से बहाई महिलाओं को अनुचित रूप से निशाना बनाए जाने पर प्रकाश डाला गया है जिसमें दमन को जानबूझकर तेज किए जाने का खुलासा हुआ है।
18 संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए ईरान की कार्रवाइयों के लिए उसकी भर्त्सना करते हुए एक संयुक्त पत्र जारी किया। वहीं दूसरी ओर, अब्दुर्रहमान बोरोमंद सेंटर नामक संस्था ने बहाई समुदाय के खिलाफ 45 वर्षों से जारी हिंसा का एक भयावह विवरण प्रकाशित किया। पूरी दुनिया में उठ रहे आक्रोश को तेज करते हुए, एक नई संयुक्त राष्ट्र प्रेस विज्ञप्ति में बहाई महिलाओं को सुनियोजित रूप से निशाना बनाए जाने की निंदा की गई और इन मानवाधिकार उल्लंघनों की रोकथाम के लिए तुरंत कदम उठाने का आह्वान किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता की यह नई लहर उत्पीड़न और हिंसा के लगातार जारी निर्मम अभियान से ईरान के बहाइयों को बचाने की त्वरित आवश्यकता की ओर ध्यान दिलाती है।
बहाई अंतर्राष्ट्रीय समुदाय सभी सरकारों से आग्रह करता है कि वे ईरान से निम्नांकित अनुशंसाएं करें:
- समानता और गैर–भेदभाव सुनिश्चित करे: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप, शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच सहित, ईरान को चाहिए कि वह बहाई समुदाय के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए प्रभावी उपाय करे।
- सबके लिए धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करे: सभी प्रकार के उत्पीड़न और भेदभाव को समाप्त करके बहाई समुदाय के सदस्यों सहित सभी व्यक्तियों के लिए धर्म या आस्था की स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करे।
- सुनियोजित उत्पीड़न को रोके: बहाई समुदाय के लोगों की मनमाने ढंग से गिरफ्तारियां, संपत्ति जब्त करना, उच्च शिक्षा से वंचित करना और समुदाय को निशाना बनाने वाले 1991 के ज्ञापन को लागू करने सहित राज्य-प्रायोजित सभी उत्पीड़नों को तुरंत रोका जाए।
- राज्य-प्रायोजित नफ़रती भाषण समाप्त करे: बहाईयों के विरुद्ध राज्य-प्रायोजित नफ़रती अभियानों को समाप्त करे तथा अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप सहिष्णुता को बढ़ावा दे।
- जब्त की गई संपत्तियों को वापस करे: जब्त की गई भूमि और संपत्तियों को बहाइयों को वापस करे तथा भविष्य में धर्म पर आधारित अधिग्रहण को रोके।
सुश्री फ़हांदेज ने कहा, “यूपीआर प्रक्रिया एक मानवाधिकार प्रणाली है जिसे मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने के लिए बनाया गया है। इसलिए हमें चाहिए कि हम वही काम करें और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की अपनी प्रतिबद्धता का सामूहिक रूप से पालन करें। ईरान के बहाई लोग अपने मूलभूत मानवाधिकारों के सम्मान के लिए अब और अधिक इंतजार नहीं कर सकते। अब समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कदम उठाए।
