तमाम आतंकवादी गतिविधियों से पाकिस्तान के जुड़ाव के बाद भी अमेरिका द्वारा उसकी अनदेखी नई बात नहीं है. अटल सरकार के समय इंडियन एयर लाइंस के विमान अपहरण के मौके पर भारत सरकार के अनुरोध के बाद भी अमेरिका ने किसी प्रकार के सहयोग से परहेज करके अपहरणकर्ताओं का काम आसान कर दिया था. इस वारदात के कुछ महीनों बाद ही अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन में अमेरिका को सचेत किया था कि दूरी और भूगोल किसी देश को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से सुरक्षा नहीं प्रदान करते.
अटल बिहारी वाजपेयी की यह चेतावनी लगभग एक वर्ष बाद सही साबित हुई थी . 9/11 की आतंकी कार्रवाई ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं, समूची दुनिया को झकझोर दिया था.
पाकिस्तान की शह पर विमान अपहरण
फाइलों में उलझे तात्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को 24 दिसंबर 1999 की शाम लगभग पांच बजे इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक श्यामल दत्ता की उस फोन कॉल ने चौंका दिया था, जो काठमांडू से भारत आ रहे इंडियन एयर लाइंस के विमान आईसी-814 के अपहरण से संबंधित थी. इस विमान में 180 से अधिक यात्री सवार थे. इस विमान को अमृतसर में ही रोके रखने की भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कोशिश नाकाम हो गई थीं.
विमान का अगला पड़ाव लाहौर था. पाकिस्तान से किसी प्रकार के सहयोग की उम्मीद नहीं थी लेकिन फिर भी भारत सरकार ने उससे लाहौर में ही विमान को रोके रखने का अनुरोध किया. पाकिस्तान का रुख उम्मीद के मुताबिक नकारात्मक था. विमान का अपहरण उसकी शह और सहयोग से हुआ था. रोकने की जगह पाकिस्तान ने विमान में ईंधन भरवाया. सुरक्षित सशस्त्र अपहरणकर्ता वहां से विमान को दुबई एयरपोर्ट ले गए.
मांगने पर भी अमेरिका ने नहीं किया सहयोग
भारत सरकार ने सोचा कि खाड़ी देशों में अपनी प्रभावी सैन्य उपस्थिति और राजनयिक प्रभाव से अमेरिका मददगार हो सकता है. आडवाणी ने अमेरिका का सहयोग प्राप्त करने के लिए भारत स्थित अमेरिकी राजदूत से बात भी की. दुबई एयरपोर्ट पर वहां के अमेरिकी राजदूत पहुंच भी गए. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने दुबई स्थित भारतीय राजदूत को एयरपोर्ट के भीतर प्रवेश की इजाजत नहीं दी. भारत को गहरी निराशा का सामना करना पड़ा. एयरपोर्ट पर मौजूद अमेरिकी राजदूत ने विमान को दुबई में ही रोके रखने या फिर यात्रियों को मुक्त कराने की कोई कोशिश नहीं की. इसके बाद अपहरणकर्ता विमान को कंधार ले गए.
बंधक यात्रियों की रिहाई के एवज में भारत को भारतीय जेलों में बंद 3 दुर्दांत आतंकवादियों को कंधार पहुंचाना पड़ा था. आडवाणी ने बाद में अमेरिका के तत्कालीन राजदूत रॉबर्ट ब्लैकविल से मुलाकात के समय अमेरिकी रवैए पर निराशा और नाराजगी व्यक्त की थी. अपनी आत्मकथा में आडवाणी ने लिखा कि इस अनुभव ने हमारे विश्वास को और दृढ़ किया कि आतंकवाद के विरुद्ध अपनी लड़ाई को भारत को ही लड़ना होगा.इस कांड के सूत्रधार पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं था.
एक अंतरराष्ट्रीय टेलीविजन नेटवर्क से इन्टरव्यू में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ ने कहा था कि पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए विमान अपहरण की योजना खुद भारत ने बनाई थी. दूसरी ओर इस कांड में रिहा होने वाला आतंकी मसूद अजहर जल्द ही पाकिस्तान पहुंच गया. कराची की एक मस्जिद में जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए उसने कहा, “मैं अपना फर्ज होने के कारण यहां आपको यह बताने के लिए आया हूं कि अमेरिका और भारत को पूरी तरह बर्बाद करने तक मुसलमानों को चैन से नहीं बैठना चाहिए.”
अटल की भविष्यवाणी जो सच हुई
भारत में पाकिस्तान प्रायोजित अनेक आतंकी घटनाओं के बाद भी अमेरिका सहित पश्चिमी देश भारत की सबूत सहित शिकायतों को नजरअंदाज करते रहे. उलटे इसे वे स्थानीय कारणों से जोड़ देते थे. कहते थे कि भारत सरकार इनके समाधान में विफल रही है. यहां तक कि आतंकवादियों के विरुद्ध भारत की कार्रवाई को समर्थन की जगह मानवाधिकारों के उल्लंघन का भारत को दोषी बताने का भी अभियान चलता रहा है.
अटल बिहारी वाजपेयी ने सचेत किया था कि यह नीति अमेरिका को महंगी पड़ेगी. 14 सितंबर 2000 को वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “हमारे पड़ोसी से बढ़कर आतंकवाद का कोई स्त्रोत नहीं है. वास्तव में हमारे पड़ोस में -इस इक्कीसवीं शताब्दी में केवल धर्मयुद्ध को ही नया जामा नहीं बनाया गया है, बल्कि उसे राज्य की नीति के एक उपकरण के रूप में घोषित भी किया गया है. दूरी और भूगोल किसी देश को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से सुरक्षा नहीं प्रदान करते. आप जानते हैं और मैं जानता हूं कि यह बुराई सफल नहीं हो सकती लेकिन अपनी असफलता में भी यह अवर्णीय पीड़ा पहुंचा सकती है.”
9/11 के मास्टरमाइंड बिन लादेन का शरणदाता पाकिस्तान
अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका की धरती पर पहुंच कर उसे सचेत किया था. सिर्फ साल भर के भीतर अटल बिहारी वाजपेयी के शब्द और चेतावनी सच साबित हुई थी. 11 सितंबर 2001 को बिन लादेन के गुर्गों ने महाबली अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के जुड़वां टावरों को विमान को मिसाइल में बदल धूल में मिला दिया. तीसरा विमान पेंटागन से टकराया. जबकि व्हाइट हाउस को निशाने पर लेने की असफल कोशिश के दौरान चौथा विमान
पेनिसिलवेनिया के निकट एक खेत में क्रैश हो गया था.
वैश्विक आतंकवाद के इतिहास की यह सबसे भयानक घटना थी, जिसमें लगभग तीन हजार जानें गई थीं. बाद में पता चला था कि सभी 19 आतंकवादी अरब मूल के थे. उनकी ब्रेनवाशिंग और प्रशिक्षण तालिबानी अफगानिस्तान और उसके संरक्षक पाकिस्तान की धरती पर हुआ था. वर्षों बाद इस कांड के सरगना बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान में ही घुसकर मारा था और लाश अपने साथ ले गए थे.
