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July 27, 2024 5:35 am

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Anil Ambani कभी दुनिया के सबसे बड़े अरबपतियों की लिस्ट में शामिल थे, लेकिन फिर वे अर्श से फर्श पर आते गए, जाने किन गलतियों ने किया बर्बाद

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मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के छोटे भाई अनिल अंबानी (Anil Ambani) कभी दुनिया के सबसे बड़े अरबपतियों की लिस्ट में शामिल थे, लेकिन फिर वे अर्श से फर्श पर आते गए. बीते कुछ दिनों से वे फिर से सुर्खियों में हैं. पहले उनकी कंपनियों Reliacne Power और Reliance Infra के शेयरों में तेजी और अब सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के पक्ष में दिए गए फैसले से लगे झटके को लेकर उनकी चर्चा हो रही है. Supreme Court ने  उनकी कंपनी को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) को दी गई ऑरिजिनल आर्बिट्रल अवॉर्ड की राशि चुकाने का निर्देश दिया है. आइए जानते हैं उन गलतियों के बारे में जिनके जरिए पलटती चली गई अनिल अंबानी की किस्मत…

DMRC विवाद में लगा तगड़ा झटका
सबसे पहले बात कर लेते हैं Anil Ambani को लगे ताजा झटके के बारे में, तो बता दें साल 2012 से चल रहे उनकी कंपनी DAMEPL और डीएमआरसी के विवाद में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऑरिजिनल आर्बिटल अवॉर्ड की रकम लौटाने का आदेश दिया है, जो अब तक बढ़कर करीब 8000 करोड़ रुपये हो चुकी है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल अंबानी को अपनी कंपनी को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से मिले इस अवार्ड में लगभग 3,300 करोड़ रुपये का भुगतान तो करना ही होगा. खास बात ये है कि ये झटका उन्हें ऐसे समय में लगा है, जबकि उनकी कंपनियां कंपनी कैश फ्लो के मुद्दों का सामना कर रही हैं और कर्ज पुनर्गठन से गुजर रही है.

अनिल अंबानी के शेयरों में लोअर सर्किट
DMRC विवाद में लगे इस झटके का असर अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों पर तत्काल दिखाई दिया है. बीते कारोबारी दिन बुधवार को जैसे ही ये खबर आई, उनकी 9015 करोड़ रुपये मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी रिलायंस इंफ्रा का शेयर 20 फीसदी टूट गया और 227.60 रुपये पर आ गया. रिलायंस इंफ्रा ही नहीं, बल्कि उनकी कंपनी Reliance Power Share में भी लोअर सर्किट लग रहा है.

हालांकि, अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उस पर कोई देनदारी नहीं लगाई गई है. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर स्पष्ट करना चाहता है कि कोर्ट द्वारा पारित 10 अप्रैल, 2024 का आदेश कंपनी पर कोई दायित्व नहीं डालता है और कंपनी को मध्यस्थ अवार्ड के तहत DMRC/DAMEPL से कोई पैसा नहीं मिला है.

दुनिया के छठे सबसे अमीर थे अनिल अंबानी
आज भले ही Anil Ambani कर्ज के बोझ तले दबे हैं और उनकी कंपनियां बिकने की कगार पर हैं. लेकिन एक समय था जब वे दुनिया के बड़े-बड़े अरबपतियों को टक्कर देते थे. साल 2008 में अनिल अंबानी Top-10 Billionaires List में छठे पायदान पर थे और उनकी नेटवर्थ उस समय 42 अरब डॉलर थी. लेकिन कुछ गलतियों और बिजनेस में असफलताओं के चलते उनकी किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि उन्हें खुद को दिवालिया तक घोषित करना पड़ा.

 

पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन स्कूल से MBA करने वाले दिवंगत धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) के 64 वर्षीय छोटे बेटे अंबानी 1986 में धीरूभाई को स्ट्रोक का सामना करने के बाद पिता के नेतृत्व में ही की Reliance के फाइनेंशियल कामों को संभालना शुरू कर दिया था. हालांकि, 2002 में जब धीरुभाई का निधन हुआ, तो फिर उसके तुरंत बाद Ambani Family ने बंटवारे का दंश झेला. धीरूभाई के दोनों बेटों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच कंपनियों को बांटा गया. बड़े बेटे Mukesh Ambani को पुराने बिजनेस से संतोष करना पड़ा, जिनमें पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल रिफाइनरी, तेल-गैस कारोबार शामिल था. तो वहीं छोटे बेटे Anil Ambani के खाते में नए जमाने के बिजनेस टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी आए.

ये गलतियां पड़ीं अनिल अंबानी पर भारी
नए जमाने के बिजनेस मिलने के बाद भी अनिल अंबानी कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और दिवालियापन का सामना करने तक को मजबूर हो गए. वहीं मुकेश अंबानी आज एशिया के सबसे अमीर (Asia’s Richest) इंसान हैं और उनकी नेटवर्थ (Mukesh Ambani Net Worth) 104 अरब डॉलर है. अनिल अंबानी की बड़ी गलतियों के बारे में बात करें तो ऐसे कई कारण है, जिनके चलते उनकी फाइनेंशियल हेल्थ गिरती चली गई. उन्हें जब नए जमाने का कारोबार मिला, तो उन्होंने बेहद जल्दबाजी में बिना सटीक प्लानिंग के कारोबार को आगे बढ़ाने की जल्दबाजी की, जो उन्हें बहुत भारी पड़ा. बिना तैयारी के एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट्स में पैसे लगाना भी उनके लिए बुरा साबित हुआ.

उस समय एनर्जी से लेकर टेलीकॉम सेक्टर का किंग बनने के लिए जिन नए प्रोजेक्ट में दांव लगा रहे थे, उनमें लागत अनुमान से ज्यादा आ रही थी और रिटर्न न के बराबर मिल रहा था. ये उनके पतन के बड़े कारणों में से सबसे ऊपर रहा. उनका एक सेक्टर में कारोबार पर फोकस नहीं रहा और एक से दूसरे बिजनेस में कूदते रहे. इस बीच साल 2008 में आई ग्लोबल मंदी (Recession) के बाद उन्हें दोबारा उठने का मौका ही नहीं मिला.

 

अनिल अंबानी की बर्बादी के उदाहरण
ग्लोबल मंदी से पहले अनिल अंबानी के ग्रुप (ADAG) की कंपनियों की मार्केट वैल्यू करीब 4 लाख करोड़ रुपये थी. लेकिन, वे इस मुकाम पर टिके हुए नहीं रह सके. उन्हें मिली कंपनियों की बर्बादी में R Power और R Com का जिक्र बेहद जरूरी है. इसे उदाहरण के तौर पर समझें तो अनिल अंबानी ने ऊर्जा क्षेत्र में टॉप पर पहुंचने के लिए कई प्रोजेक्ट में दांव लगाया था, इसमें से एक सासन प्रोजेक्ट था. इसकी लागत उस समय अनुमान से 1.45 लाख डॉलर ज्यादा पहुंच गई, इस परियोजना की फंडिंग एडिशनल एक्विटी और देनदारों के कर्ज से हुई थी और कंपनी पर कर्ज 31,700 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया. देनदारी बढ़ती गई, कर्ज बढ़ता गया और हाथ में कुछ नहीं आया. 2014 में उनकी बिजली और बुनियादी ढांचा कंपनियां भारी कर्ज में डूब गईं.

इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में उनकी गलती ने उन्हें बर्बाद करने में अहम रोल प्ले किया. R Com के जरिए अनिल अंबानी अमीरों की तकनीक लेकर गरीबों को सौंपने के काम में जुटे थे. इस समय उन्होंने CDMA आधारित नेटवर्क अपनाया, जो कि GSM नेटवर्क के मुकाबले महंगा सौदा था. तब के समय में आरकॉम का ARPU 80 रुपये था, जो हर समय इंडस्ट्री के औसत 120 रुपये से कम रहा था. इस तरह हर यूनिट पर आरकॉम को नुकसान उठाना पड़ा और वो आरकॉम 25,000 करोड़ से ज्यादा के कर्ज तले दब गई.

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

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