राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को जान से मारने की धमकी देने के मामले में जयपुर पुलिस को सफलता मिली है. पुलिस ने धमकी देने वाले आरोपी को चिन्हित कर उससे पूछताछ करना शुरू किया है.
धमकी भरा यह कॉल जयपुर सेंट्रल जेल से किया गया था. मामले को लेकर डीजीपी यूआर साहू ने कहा कि जेल में मोबाइल फोन मिलना एक सतत प्रक्रिया है. अंदर के ही किसी व्यक्ति की मिली भगत के बिना यह कार्य संभव नहीं है. पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं.
जेल में मोबाइल फोन की सूचना मिलती है, पुलिस कार्रवाई कर मोबाइल फोन पकड़ती है. उपमुख्यमंत्री को धमकी देने की घटना के मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है. जेल में मोबाइल फोन मिलने की घटनाओं को लेकर पुलिस और जेल महकमा अपने स्तर पर प्रयास करता रहा है.
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जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को रोकने के लिए योजना तैयार की गई है. योजना के पूरा होते ही अगर जेलों में मोबाइल फोन पहुंच भी गया तो वह काम नहीं करेगा.
वहीं, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को जान से मारने की धमकी देने के मामले में जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने कहा कि धमकी भरा कॉल जयपुर सेंट्रल जेल से किया गया था. पुलिस ने लोकेशन के आधार पर आरोपी को चिन्हित कर उससे पूछताछ करना शुरू किया है. उससे पूछताछ कर धमकी देने के कारणों के साथ मोबाइल फोन के संबंध में पूछताछ की जा रही है. इसके साथ ही जेल के अंदर मोबाइल और सिम कार्ड पहुंचाने वाले लोगों को भी चिन्हित किया गया है.
धमकी देने के प्रकरण में विधायकपुरी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं, जेल के अंदर मोबाइल का इस्तेमाल करने सहित अन्य बिंदुओं को लेकर प्रिजनर्स एक्ट के तहत लालकोठी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है. जल्द ही कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट लेकर आरोपियों को सेंट्रल जेल से गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की जाएगी.
